क्रिकेट के मैदान से राजनीतिक ग्राउंड तक, तेजस्वी यादव का सफर, विपक्ष में भी दमदार छवि

बिहार की राजनीति में आज अगर किसी नेता की सबसे ज़्यादा चर्चा है, तो वो हैं तेजस्वी यादव. आज बिहार में विपक्ष एक बड़े स्तंभ की तरह है. जब तेजस्वी बोलते हैं तो उनकी बातों की गूंज तो बिहार के 38 जिलों तक पहुंचती है.

बिहार की राजनीति में आज अगर किसी नेता की सबसे ज़्यादा चर्चा है, तो वो हैं तेजस्वी यादव. आज बिहार में विपक्ष एक बड़े स्तंभ की तरह है. जब तेजस्वी बोलते हैं तो उनकी बातों की गूंज तो बिहार के 38 जिलों तक पहुंचती है.

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Ravi Prashant
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RJD leader and former Deputy CM Tejashwi Yadav

पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव Photograph: (NN)

बिहार की राजनीति में अगर किसी युवा नेता ने पिछले एक दशक में सबसे अधिक चर्चा बटोरी है, तो वह हैं तेजस्वी प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री. उनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ावों से भरा रहा है कभी सत्ता के शिखर पर तो कभी विपक्ष की बेंच पर, लेकिन उन्होंने हर दौर में खुद को एक प्रासंगिक और प्रभावशाली चेहरा बनाए रखा है.

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फुलवरिया में गूंजी थी किलकारी

तेजस्वी यादव का जन्म 9 नवंबर 1989 को फुलवरिया, गोपालगंज (बिहार) में हुआ. वे बिहार के सबसे चर्चित राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता लालू प्रसाद यादव, राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्र में रेल मंत्री रहें और भारतीय राजनीति के करिश्माई नेताओं में गिने जाते हैं. उनकी माता राबड़ी देवी ने भी लालू यादव के जेल जाने के बाद तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाला. 

तेजस्वी के परिवार में राजनीति की गहरी जड़ें हैं. उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं, जबकि बड़ी बहन मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं. इस तरह तेजस्वी ऐसे परिवार से आते हैं, जहां राजनीति और सत्ता का अनुभव उन्हें बचपन से मिला.

स्कूल से पहुंचें क्रिकेट ग्राउंड

राजनीति में आने से पहले तेजस्वी ने खुद क्रिकेट की दुनिया में भी आजमाया था. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली में की, लेकिन उच्च शिक्षा पूरी नहीं कर सके. कई रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि उन्होंने क्लास नौवीं तक पढ़ाई की थी. हालांकि, उनके खेल कौशल ने उन्हें पहचान दिलाई. तेजस्वी दिल्ली अंडर-15 टीम के कप्तान रहे और अंडर-17 व अंडर-19 टीमों में भी खेले. उनका नाम तब सुर्खियों में आया जब वे दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) की IPL टीम में शामिल हुए. भले ही उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उस समय वे बिहार के पहले ऐसे युवा बने जिन्होंने IPL टीम में जगह बनाई. 

फिर हुई राजनीति में एंट्री

राजनीतिक परिवार से आने के कारण तेजस्वी को बचपन से ही जनसभाओं, चुनावी रणनीतियों और जनता के बीच रहने का अनुभव मिला. लेकिन उनकी औपचारिक राजनीतिक शुरुआत हुई 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से, जब उन्होंने अपने परिवार के पारंपरिक गढ़ राघोपुर सीट से चुनाव लड़ा.  ये चुनाव महागठबंधन (RJD, JDU, और कांग्रेस) के तहत लड़े गए और नतीजों में इस गठबंधन ने बहुमत हासिल किया.

महागठबंधन की जीत के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव ने 26 वर्ष की उम्र में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.  यह तेजस्वी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था वे न केवल बिहार के सबसे युवा उपमुख्यमंत्री बने बल्कि पब्लिक वर्क्स, पर्यावरण और वन विभाग जैसे अहम मंत्रालय भी संभाले.

सत्ता से विपक्ष तक

हालांकि तेजस्वी की राजनीतिक यात्रा सीधी नहीं रही. 2017 में नीतीश कुमार ने अचानक महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और BJP के साथ सरकार बना ली. इससे तेजस्वी की उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी चली गई और वे विपक्ष के नेता बन गए. विपक्ष में रहते हुए उन्होंने अपनी आक्रामक शैली और जमीन से जुड़े भाषणों से युवा वर्ग में मजबूत पहचान बनाई. उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा जैसे मुद्दों को लगातार उठाया. 

2020 का विधानसभा चुनाव एक बड़ा मोड़

2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने खुद को RJD के प्रमुख चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने इस बार मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पूरे बिहार में व्यापक प्रचार किया. उनका नारा “10 लाख नौकरी देंगे” युवाओं में बेहद लोकप्रिय हुआ. नतीजों में RJD को 75 सीटें मिलीं जो किसी एक पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें थीं, लेकिन महागठबंधन बहुमत से सिर्फ 12 सीटें पीछे रह गया. सरकार तो नहीं बनी, लेकिन तेजस्वी ने खुद को बिहार की राजनीति में एक गंभीर दावेदार के रूप में स्थापित कर लिया. 

2022 की वापसी और 2024 की फिर से जुदाई

अगस्त 2022 में, बिहार की राजनीति ने एक और करवट ली नीतीश कुमार ने BJP से नाता तोड़कर फिर से RJD, कांग्रेस और वाम दलों के साथ महागठबंधन बनाया. इस नये गठबंधन में तेजस्वी यादव ने एक बार फिर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस बार उनका प्रशासनिक अनुभव पहले से कहीं ज्यादा परिपक्व दिखा. लेकिन यह गठबंधन भी लंबे समय तक नहीं चला. 2024 की शुरुआत में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारते हुए BJP से हाथ मिला लिया. इस कदम से महागठबंधन की सरकार गिर गई और तेजस्वी फिर विपक्ष में लौट आए. 

तेजस्वी की बनी नई पहचान

तेजस्वी यादव की राजनीति का केंद्र हमेशा युवा बिहार और रोजगार रहा है. वे अपने भाषणों में लगातार शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को उठाते हैं. आलोचकों का कहना है कि वे लालू यादव की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि समर्थकों का मानना है कि वे लालू की शैली में आधुनिक दृष्टिकोण जोड़ने वाले नेता हैं. आज तेजस्वी यादव बिहार में विपक्ष का सबसे सशक्त चेहरा हैं. उनकी राजनीति न तो सिर्फ जातीय समीकरणों पर टिकी है, न ही केवल पुरानी विरासत पर बल्कि वे बिहार को एक नई दिशा और नई पीढ़ी का नेतृत्व देने की कोशिश कर रहे हैं. 

क्या तेजस्वी यादव लिखेंगे इतिहास? 

तेजस्वी यादव की कहानी एक ऐसे युवा नेता की है जिसने क्रिकेट मैदान से लेकर सत्ता के गलियारों तक लंबी यात्रा की है. विधानसभा चुनाव में तेजस्वी काफी सक्रिय हैं, जिस तरह से वो अपनी बातों को रख रहे हैं, उसमें काफी दम नजर आ रहा है, हालांकि, ये 14 नवंबर को साफ हो जाएगा कि बिहार की जनता तेजस्वी को गद्दी पर बिठाएगी या नहीं.

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