Bihar मंत्रिमंडल में शामिल हुए सदा, दलितों को साधने में होंगे सफल!

बिहार सरकार में मंत्री रहे हम पार्टी से संतोष कुमार सुमन के इस्तीफे के बाद नए मंत्रिमंडल में जेडीयू के विधायक रत्नेश सदा को शामिल किया गया है.

बिहार सरकार में मंत्री रहे हम पार्टी से संतोष कुमार सुमन के इस्तीफे के बाद नए मंत्रिमंडल में जेडीयू के विधायक रत्नेश सदा को शामिल किया गया है.

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Vineeta Kumari
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मंत्रिमंडल में शामिल हुए सदा( Photo Credit : फाइल फोटो)

बिहार सरकार में मंत्री रहे हम पार्टी से संतोष कुमार सुमन के इस्तीफे के बाद नए मंत्रिमंडल में जेडीयू के विधायक रत्नेश सदा को शामिल किया गया है. सदा मुसहर जाति से आते हैं और सूबे में 16 प्रतिशत दलित और महादिलत समाज के लोग रहते हैं. ऐसे में 49 साल के सोनबरसा से जेडीयू विधायक को नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल कर के इस खास वर्ग के पक्ष में एनडीए के खिलाफ एक नया संदेश देने की कोशिश की गई है. आईए जानते हैं क्या महागठबंधन के लिए जीतन राम मांझी से बेहतर से साबित हो सकते हैं. 

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सदा के सामने मांझी  हैं ''असरदार''

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को दिवंगत रामविलास पासवान के बाद उन्हें ही दलितों का बड़ा चेहरा माना जा रहा है. 1980 से राजनीति सफर की शुरुआत करने वाले मांझी बीजेपी को छोड़कर सभी मुख्य दलों के साथ काम कर चुके हैं. 1983 में पहली बार राज्यमंत्री बनने वाले मांझी 1993 में पहली बार राज्यमंत्री बने. उन्होंने जनता दल, आरजेडी और जेडीयू के साथ सरकार में लगातर मंत्री पदों को सुशोभित किया. ऐसे में उनके कद के सामने में खड़े होने के लिए संभवत सदा को कड़ी मेहनत करनी होगी. ये भी बात तय है. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब 2014 के आम चुनाव में जेडीयू को केवल दो सीटों पर जीत मिलने के कारण दुखी सीएम नीतीश ने अपने पद से इस्तीफा दे कर मांझी को मुख्यमंत्री बनाए थे. इस तरह से देखा जाए तो सदा के सामने जीतन राम मांझी असरदार ही साबित होने वाले हैं.

सदा के लिए दलितों को साधना नहीं होगा आसान

मंत्री बनने के लिए जैसे ही रत्नेश सदा का नाम आगे किया गया. वैसे ही उन्होंने जीतन राम मांझी पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मांझी अपने राजनीति जीवन में एक भी काम दलितों के हक में नहीं किया है. इतना ही नहीं रूके सदा. यहां तक कह डाले कि मांझी बताएं कोई भी एक ऐसा काम जो उन्होंने दलित समाज के लिए किया है. लगातार तीन बार से विधायक सदा भले ही हम के वरिष्ठ नेता पर  बड़ा आरोप लगाएं. लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि दलितों के बड़े नेताओं  चिराग पासवान, पशुपति पारस के साथ अब मांझी के राजग की ओर रूख होने के चलते महागठबंधन के लिए दलितों को साधना आसान नहीं होने वाला है.

स्क्रिप्ट- पिन्टू कुमार झा

HIGHLIGHTS

  • दलितों को साधना आसन नहीं होगा
  • तीन बार से विधायक हैं रत्नेश सदा
  • महागठबंधन में दलितों के बड़े नेता होंगे सदा

Source : News State Bihar Jharkhand

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