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बिहार का नशामुक्त गांव, जहां लोग ना शराब पीते हैं, ना मांस खाते हैं

बांका जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर पर बसे हेठमढिया गांव जो कटोरिया प्रंखंड के नक्सल प्रभावित जयपुर थाना क्षेत्र मैं है.

Updated on: 16 Jun 2023, 01:44 PM

highlights

  • बांका जिले का महादलित टोला
  • जो ना शराब पीता है, ना मांस खाता है
  • तीन पीढ़ी से चली है रही है परंपरा

Banka:

बांका जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर पर बसे हेठमढिया गांव जो कटोरिया प्रंखंड के नक्सल प्रभावित जयपुर थाना क्षेत्र मैं है. ये गांव झारखंड बोर्डर से महज 7 किलोमीटर पर बसे हैं. हेठ मढ़िया में गांव के महादलित टोला में ना तो शराब पीते हैं और ना ही मांस मछली का सेवन करते हैं. हालांकि ग्रामीणों से पीछे जाने पर बताया कि कुछ लोग गांव के बाहर वलीपुजा में मीट खाते हैं, जो गांव के बाहर रहते हैं. 40 घर का महादलित टोला है, जो 75 प्रतिशत घरों में मांस मदिरा नहीं चलता है. कुछ घर के लोग बाहर में खाते हैं. हालांकि शराब पूरे गांव नहीं पीने की बात बताते हैं.

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तीन पीढ़ी से चली आ रही है परंपरा

यह परंपरा पिछले तीन पीढ़ी से चली आ रही है. सरकार भले ही 2016 से राज्य में शराब बंदी लागू किया है, पर गांव में पिछले साठ सत्तर साल से भी ज्यादा समय से शराब पर बैन लगा हुआ है. गांव के बुर्जुग सोनालाल दास व सरजू दास ने बताया कि साठ के दशक में झारखंड के दोमुहान से एक संत द्वारिका दास आये थे और उन्होंने ही गांव के तत्कालीन बड़े बूढ़े को कबीर पंथी से जोड़ कर कंठी धारी बनाया था और उस बड़े बूढ़े के संस्कार और रीति रीवाज को आज की पीढ़ी भी ढोकर उनके द्वारा दिखाये मार्ग पर चल रहे हैं.

महादलित टोला जो ना शराब पीता है और ना मांस खाता है

हाल में 25 अप्रैल को गांव में शादी कर आई नवी नवेली दुल्हन के साथ अन्य गांव वाले स्त्री पुरुषों ने शपथ खाई थी कि पूर्वंज के द्वारा मांस मदिरा का बहिष्कार कायम रहेगा. साथ ही जो व्यक्ति गांव में शराब पीकर आयेगा. उसे गांव में प्रवेश न करने दिया जायेगा. कोई अगर गांव की इस रीति का विरोध कर नशापान करता है, तो स्थानीय पुलिस की मदद ले. उसे दंडित करने का काम कराया जायेगा.