भागलपुर में सामने आई रेल विभाग की लापरवाही, खड़े हुए कई सवाल

रेल विभाग यात्रियों को सुविधा देने के लिए अरबों रुपये खर्च किए जाते हैं. बार-बार डीआरएम का निरीक्षण होता है, एसडीआरएम का निरीक्षण होता है और कई पदाधिकारी रेल विभाग को काफी विकसित और सौंदर्यकृत बनाने के लिए बैठक करते दिखते हैं.

रेल विभाग यात्रियों को सुविधा देने के लिए अरबों रुपये खर्च किए जाते हैं. बार-बार डीआरएम का निरीक्षण होता है, एसडीआरएम का निरीक्षण होता है और कई पदाधिकारी रेल विभाग को काफी विकसित और सौंदर्यकृत बनाने के लिए बैठक करते दिखते हैं.

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Vineeta Kumari
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रेल विभाग की लापरवाही( Photo Credit : फाइल फोटो)

रेल विभाग यात्रियों को सुविधा देने के लिए अरबों रुपये खर्च किए जाते हैं. बार-बार डीआरएम का निरीक्षण होता है, एसडीआरएम का निरीक्षण होता है और कई पदाधिकारी रेल विभाग को काफी विकसित और सौंदर्यकृत बनाने के लिए बैठक करते दिखते हैं. थोड़ी सी लापरवाही के चलते बड़ा दुर्घटना हो सकता है, हम यह कह सकते हैं कि रेल मंत्रालय के पदाधिकारियों की सोच पर ग्रहण लगता दिख रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं, भागलपुर रेलवे स्टेशन की. जब रेलवे स्टेशन भागलपुर में मीडिया कर्मियों ने रेल के नियमों का उल्लंघन होते देखा, तो उनसे रहा नहीं गया. उन्होंने यात्रियों से सवाल पूछना शुरू कर दिया. अब सवाल यह उठता है कि आखिर वह अनियमितता क्या देखी गई, जिससे मीडिया कर्मी ने यात्रियों से सवाल पूछा?

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सामने आई रेल विभाग की लापरवाही

जब भागलपुर स्टेशन पर सुपर ट्रेन लगी थी, जो कोलकाता के लिए जाती है. उसमें महिला विभाग विकलांग विभाग की बोगी बनी रहती है. साथ ही सामान ले जाने के लिए भी अलग बोगी बनी रहती है, लेकिन महिला विभाग में भी पुरुषों की भीड़ देखी गई. विकलांग विभाग में भी महिला-पुरुषों और आम लोगों की भीड़ देखी गई. जिस कंपार्टमेंट में सामान ले जाया जाता है. उसमें भी खचाखच भीड़ देखी गई. अब सवाल यह उठता है कि अगर किसी तरह की घटना हो जाती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.

रेलवे प्रशासन पर खड़े हुए कई सवाल

आरपीएफ और जीआरपी के पुलिस ने मीडिया कर्मियों को यात्रियों से सवाल पूछते देखा तो उन्होंने बोगी को खाली कराया. रेल विभाग की लापरवाही कहीं ना कहीं बड़े घटना को अंजाम दे सकती है. वहीं, भागलपुर स्टेशन पर मौजूद भागलपुर के उपमेयर डॉक्टर सलाउद्दीन अहसन से जब मीडिया कर्मियों ने बात की तो उनका साफ तौर पर कहा कि यह किसी भी हालत में सही नहीं है. सब कंपार्टमेंट अलग-अलग है. महिला में महिला को जाना चाहिए, विकलांग में विकलांग को जाना चाहिए और सामान वाले बोगी में सामान ही रहने चाहिए. यहां पर रेलवे कर्मियों की उदासीनता साफ तौर पर दिख रही है. ऐसा नहीं होना चाहिए. वहीं दूसरी ओर यात्री भी इससे खफा दिखें.

HIGHLIGHTS

  • सामने आई रेल विभाग की लापरवाही
  • रेलवे प्रशासन पर खड़े हुए कई सवाल
  • रेलवे कर्मियों की उदासीनता

Source : News State Bihar Jharkhand

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