Rahul-Tejashwi Vote Adhikar Yatra: बेतिया में हाथी-घोड़े से हुआ राहुल-तेजस्वी का स्वागत

Rahul-Tejashwi Vote Adhikar Yatra: राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश साहनी वोट अधिकार यात्रा के जरिए जनता से सीधा संवाद साध रहे हैं. लेकिन असली तस्वीर चुनाव परिणामों के बाद ही साफ होगी.

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Yashodhan Sharma
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Rahul-Tejashwi Vote Adhikar Yatra: राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश साहनी वोट अधिकार यात्रा के जरिए जनता से सीधा संवाद साध रहे हैं. लेकिन असली तस्वीर चुनाव परिणामों के बाद ही साफ होगी.

Rahul-Tejashwi Vote Adhikar Yatra: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी चंपारण के बेतिया में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोट अधिकार यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ. खास बात यह रही कि इस स्वागत में हाथी, ऊंट और घोड़े तक उतारे गए. महात्मा गांधी के पहले सत्याग्रह की धरती पर महागठबंधन के नेताओं ने जनसमर्थन जुटाने की कोशिश की.

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जनता ने रखी अपनी मांगें

ग्राउंड से साफ झलक रहा है कि लोगों की मुख्य समस्याएं महंगाई, बेरोजगारी और खराब बुनियादी ढांचा हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकारी दावों के बावजूद रोजगार का संकट गहराता जा रहा है. गांवों में बिजली कटौती आम बात हो गई है. वहीं, शराबबंदी पर भी लोगों ने नाराजगी जताई. ग्रामीणों का कहना था कि “दारू बंद के नाम पर सरकार ने भ्रष्टाचार बढ़ा दिया, शराब आसानी से मिल रही है लेकिन गरीब की जिंदगी मुश्किल हो गई है.”

पुल की जर्जर हालत पर चिंता

राहुल गांधी का काफिला जिस सनसरैया पुल से गुजरने वाला था, उसकी खराब स्थिति को लेकर लोग बेहद चिंतित दिखे. स्थानीय लोगों ने कहा कि पुल कभी भी गिर सकता है. प्रशासन ने भी सुरक्षा के लिए केवल तीन गाड़ियों को एक साथ पुल पर जाने की अनुमति दी. जनता ने मांग की कि यहां जल्द से जल्द नया पुल बने.

युवाओं में बदलाव का जोश

नरकटियागंज और आसपास के इलाकों से आए युवाओं में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के लिए खासा उत्साह देखा गया. कई युवाओं ने खुद को 'राहुल गांधी का हनुमान' बताते हुए कहा कि वे बदलाव चाहते हैं. उनका कहना है कि 20 साल की सरकार के बाद भी बिहार विकास से कोसों दूर है.

महिलाओं और बच्चों की भागीदारी

गांव की महिलाओं ने भी साफ कहा कि वे बदलाव चाहती हैं. उनका कहना है कि 'महंगाई से रसोई चलाना मुश्किल हो गया है, अबकी बार विकास के नाम पर वोट देंगे.' वहीं छोटे-छोटे बच्चे भी राहुल गांधी से मिलने के लिए बेसब्री से इंतजार करते दिखे. उनका कहना था कि राहुल गांधी 'सबका भला चाहते हैं' और उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.

नतीजे तय करेंगे जनता का मूड

स्पष्ट है कि चंपारण की धरती पर इस बार जातिगत समीकरण से ज्यादा बुनियादी मुद्दों पर चर्चा हो रही है. राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश साहनी वोट अधिकार यात्रा के जरिए जनता से सीधा संवाद साध रहे हैं. लेकिन असली तस्वीर चुनाव परिणामों के बाद ही साफ होगी कि यह यात्रा महागठबंधन के लिए कितनी सफल साबित होती है.

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