Bihar: बिहार की सियासत में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2025 विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा? राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तो पहले ही यह साफ कर दिया है कि वह तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार मानती है. लेकिन कांग्रेस ने अब तक इस पर खुलकर हामी नहीं भरी है.
सीएम के चहरे पर राहुल गांधी ने कही ये बात
पूर्णिया में शनिवार को राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सैनी और अन्य नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसी दौरान एक पत्रकार ने राहुल गांधी से सीधे सवाल किया तेजस्वी यादव आपको प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बताते हैं, तो क्या कांग्रेस तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री चेहरा मानेगी? इस सवाल पर राहुल गांधी ने सीधा जवाब देने के बजाय बात को टाल दिया.
हमें बस वोट चोरी को रोकना है- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि इंडिया गठबंधन में सभी दलों के बीच अच्छे तालमेल और आपसी सम्मान के साथ काम हो रहा है. उन्होंने कहा, 'सभी पार्टियां एक साथ जुड़कर काम कर रही हैं. कोई टेंशन नहीं है, मजा आ रहा है और विचारधारा के स्तर पर हम एकजुट हैं. हमें बस वोट चोरी को रोकना है.' लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि अगर गठबंधन चुनाव जीतता है तो तेजस्वी ही मुख्यमंत्री होंगे या नहीं.
विपक्षी दलों ने ली चुटकी
कांग्रेस की चुप्पी पर विपक्षी दलों ने चुटकी लेना शुरू कर दिया है. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि कांग्रेस कभी भी तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं और इसका चुनावी नुकसान पूरे गठबंधन को उठाना पड़ सकता है.
वहीं बीजेपी ने भी राहुल गांधी के बयान को हाथों-हाथ लिया. पार्टी ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा – 'तेजस्वी को तो राहुल पसंद हैं लेकिन राहुल को तेजस्वी कतई पसंद नहीं. कांग्रेस का अंदर ही अंदर अलग खेल चल रहा है.'
बता दें कि बिहार में महागठबंधन सरकार टूटने के बाद अब आरजेडी और कांग्रेस मिलकर इंडिया गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. गठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को समन्वय समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया है. इसके बावजूद सीएम फेस को लेकर कांग्रेस की अनिश्चितता ने नए सियासी सवाल खड़े कर दिए हैं.
फिलहाल राहुल गांधी के जवाब ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस अभी जल्दबाज़ी में कोई फैसला करने के मूड में नहीं है. ऐसे में बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव की दावेदारी को लेकर असमंजस बरकरार है और 2025 के विधानसभा चुनाव तक इस पर घमासान तेज रहना तय है.
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