Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव का आहट के साथ ही सियासी हलचलें भी तेज हैं. लेकिन इन हलचलों के बीच सबसे ज्यादा नजर इस बार राष्ट्रीय जनता दल पर टिकी हुई हैं. दरअसल इसकी वजह है लालू परिवार में हुआ विवाद, जिसके चलते उन्होंने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी के साथ-साथ घर से भी बाहर निकाल दिया. इस विवाद के बाद से ही हर किसी की नजरें लालू फैमिली पर टिकी हुई हैं. इस बीच बिहार में विधानसभा का मॉनसून सत्र 21 जुलाई सोमवार से शुरू हो गया है. ऐसे में इस सत्र को इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि यह मौजूदा विधानसभा का अंतिम सत्र है. यही नहीं इस सत्र में तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच भी नजदीकियां बढ़ने वाली है. कैसे आइए समझते हैं?
अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले इसे एक निर्णायक सत्र माना जा रहा है, जहां सरकार अपने आखिरी कार्यकाल की समीक्षा करेगी और विपक्ष अपनी रणनीति को धार देने का प्रयास करेगा. हालांकि, इस बार की राजनीतिक हलचल सिर्फ सदन के भीतर की नहीं है, बल्कि इसके केंद्र में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और खासकर लालू प्रसाद यादव का परिवार भी है.
क्या नजदीक आएंगे तेज और तेजस्वी
इस विधानसभा सत्र में पारिवारिक विवाद के बाद पहली बार तेज और तेजस्वी साथ आ सकते हैं. विधानसभा में दोनों भाइयों की सीट अगल-बगल रहेगी. लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के बीच का मनमुटाव अब किसी से छिपा नहीं है. बीते कुछ महीनों से दोनों के रिश्तों में आई दरार लगातार मीडिया की सुर्खियों में रही है. मई में तेजप्रताप यादव को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया था.
इसके साथ ही उन्हें पारिवारिक आवास से भी बेदखल कर दिया गया था. तेजप्रताप की गर्लफ्रेंड अनुष्का के साथ वायरल हुई तस्वीर ने आग में घी का काम किया, जिससे पार्टी के भीतर और घर के अंदर तनाव और भी अधिक बढ़ गया.
तेजस्वी यादव, जो फिलहाल आरजेडी के प्रमुख चेहरे और विपक्ष के नेता हैं, पर यह आरोप लगे कि उन्होंने खुद अपने बड़े भाई को पार्टी और घर से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, तेजस्वी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी.
परिवार के भीतर के मतभेदों को राजनीतिक मंचों पर उजागर करना अब आम बात होती जा रही है, लेकिन बिहार की राजनीति में यह पहली बार है जब इतने बड़े स्तर पर लालू यादव परिवार के अंदरूनी कलह ने पार्टी की एकता पर सवाल खड़े किए हैं.
3 मई को साथ नजर आए दोनों भाई
इन तमाम विवादों के बावजूद, 21 जुलाई से शुरू हुए विधानसभा सत्र में तेजप्रताप और तेजस्वी एक साथ बैठे नजर आएंगे. विधानसभा सचिवालय ने साफ किया है कि सीटिंग अरेंजमेंट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी तेजप्रताप अब भी वहीं बैठे हैं जहां पहले बैठते थे. तेजस्वी के बगल में. यह पहली बार है जब मई के बाद दोनों भाई सार्वजनिक रूप से एक मंच पर साथ देखे गए हैं. इससे पहले 3 मई को वे पटना के मिलर हाई स्कूल में एक कार्यक्रम में साथ नजर आए थे, लेकिन उसके बाद से दोनों सार्वजनिक रूप से अलग-अलग दिखते रहे.
विरोधियों का बढ़ सकती है चिंता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा के इस सत्र में दोनों भाइयों की एक साथ उपस्थिति पार्टी के भीतर एक ‘संदेश’ देने की कोशिश हो सकती है कि मतभेद के बावजूद परिवार और पार्टी एक मंच पर हैं. हालांकि, अंदरखाने की खींचतान को लेकर सवाल अब भी बने हुए हैं. ऐसे में विरोधियों की चिंता बढ़ सकती है.
अब देखना यह है कि चुनावी माहौल में आरजेडी किस तरह अपने अंदरूनी झगड़ों को संभाल पाती है और क्या तेजस्वी-तेजप्रताप की यह जबरन नजदीकी वाकई कोई सकारात्मक संकेत लेकर आएगी या यह सिर्फ एक औपचारिकता भर साबित होगी.
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