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रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद अब उनकी चिट्ठी पर सियासत

आरजेडी प्रवक्ता बिरेन्द्र ने न्यूज़ नेशन से बातचीत में कहा कि वह तमाम खत गलत, ना लिखावट और ना ही हस्ताक्षर रघुवंश प्रसाद सिंह है. यह सरकार की साज़िश. रघुवंश प्रसाद सिंह ने ना इस्तीफा दिया था और ना ही नीतीश कुमार से कोई मांग की है.

Updated on: 14 Sep 2020, 01:53 PM

पटना:

दिल्ली के एम्स में आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का 74 साल की उम्र में 13 सितंबर को निधन हो गया. उनके निधन के बाद बिहार की सियासत में लेटर को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. दरअसल, निधन के पहले रघुवंश सिंह के द्वारा आखिरी दिनों में लिखे गए खत बेहद अहम हो गए है. क्योंकि इस खत के जरिए उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मनरेगा से जुड़े काम को लेकर अपनी मांग रखी थी. साथ ही 10 सितंबर को उन्होंने लालू प्रसाद को अपना इस्तीफा भेजा था. अब आरजेडी खत को एक साजिश बता रही है.

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आरजेडी प्रवक्ता बिरेन्द्र ने न्यूज़ नेशन से बातचीत में कहा कि वह तमाम खत गलत, ना लिखावट और ना ही हस्ताक्षर रघुवंश प्रसाद सिंह है. यह सरकार की साज़िश. रघुवंश प्रसाद सिंह ने ना इस्तीफा दिया था और ना ही नीतीश कुमार से कोई मांग की है. उन्होंने पहले ही कहा था हम मरते दम तक लालू प्रसाद के साथ रहेंगे. वहीं, आरजेडी प्रवक्ता के इस बयान से बिहार के चुनावी माहौल में सियासी बवाल होना तय है, लेकिन अभी तक आरजेडी के इस आरोप जदयू की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

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दरअसल, रघुवंश प्रसाद सिंह अपने निधन के पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अपना इस्तीफा भेज दिया था. वहीं, उनके इस्तीफे के बाद लालू प्रसाद यादव ने झारखंड की राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल से रघुवंश प्रसाद सिंह को खत लिखा. लालू प्रसाद ने खत के जरिए कहा- आप कही नहीं जा रहे. रघुवंश सिंह इस्‍तीफा देने के बाद वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को पत्र लिखने को लेकर चर्चा में थे.

इधर, जदयू के नेता और बिहार के मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि राजद अब समाजवादी नेता के निधन के बाद अमर्यादित टिप्पणी कर रही है. जिंदा रहने पर तो राजद के नेता ने उनकी सुध नहीं ली. उन्होंने जब अपनी भावना एक पत्र के माध्यम से व्यक्त की, तो अब राजद नेता उसी पर सवाल उठा रहे हैं. बीजेपी ने राजद के नेताओं के बयान पर राजद को अनपढ़ और गवारों की जमात तक करार दे दिया. भाजपा के प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा कि रघुवंश सिंह जब जिंदा थे तब तेजप्रताप यादव उन्हें लोटा भर पानी बताया और आज उनके जैसे विद्वान व्यक्ति की लेखनी पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.