समस्तीपुर में 4 दशक से अधर में लटकी परियोजना, 1973 में परियोजना का हुआ था शिलान्यास

सत्ता और सिंहासन की डोर की अदला बदली में के 4 दशक बीत गए, लेकिन मिथिलांचल का ड्रीम प्रोजेक्ट हसनपुर- सकरी के बीच रेल परियोजना का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

सत्ता और सिंहासन की डोर की अदला बदली में के 4 दशक बीत गए, लेकिन मिथिलांचल का ड्रीम प्रोजेक्ट हसनपुर- सकरी के बीच रेल परियोजना का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

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Jatin Madan
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फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

सत्ता और सिंहासन की डोर की अदला बदली में के 4 दशक बीत गए, लेकिन मिथिलांचल का ड्रीम प्रोजेक्ट हसनपुर- सकरी के बीच रेल परियोजना का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. भारत के पूर्व रेल मंत्री और मिथिलांचल के दिग्गज नेता स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा ने इस प्रोजेक्ट का सपना देखा था. जो आज तक साकार नहीं हो पाया है. दरअसल ललित नारायण मिश्रा की अगुवाई में 1973 में इस रेल लाइन का सर्वे कराया गया था. 1974 में हसनपुर से सकरी के लिए छोटी लाइन का शिलान्यास हुआ था, लेकिन ललित नारायण मिश्रा के निधन के बाद काम ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. हालांकि दूसरी बार 1996 में मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान ने दोबारा लाइन का शिलान्यास किया. उन्होंने 1996-97 के रेल बजट में सकरी- हसनपुर रेल योजना के लिए बजट स्वीकृत कर दिया.

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काम शुरू हुआ और 2009 में सकरी से बिरौल तक ट्रेन सेवा का उद्घाटन किया गया. इसके 10 साल बाद 2018 में ये रेल लाइन सिर्फ 8 किलोमीटर आगे बढ़कर हरनगर तक पहुंची. इसका उद्घाटन तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था, लेकिन उसके बाद इस रेल लाइन का काम आगे नहीं बढ़ सका.

लगभग 4 दशक से अधर में लटका ये प्रोजेक्ट कोसी और मिथिलांचल के विकास के लिए बेहद अहम है. इस योजना के पूरे होने से दरभंगा से और खगड़िया से सहरसा की दूरी जहां कम हो जाएगी. वहीं, समस्तीपुर-खगड़िया रेलखंड का भी महत्व बढ़ जाएगा. हसनपुर-सकरी रेल परियोजना में कुल 10 स्टेशन हैं. हसनपुर, बिथान, कौराही, 
हरनगर, बिरौल, नेउरी, बेनीपुर, जगदीशपुर, कुशेश्वरस्थान, और सकरी शामिल है. इसमें हसनपुर, बिथान और कौराही से हरनगर तक काम होना है, लेकिन फिलहाल कुशेश्वर स्थान के बीच वन विभाग की आपत्ति के चलते काम एक बार फिर बाधित हो गया है. अधिकारियों की मानें तो इस वित्तीय वर्ष में रेल-परियोजना का काम पूरा कर लिया जाएगा.

हैरत की बात है कि जिस प्रोजेक्ट की शुरूआत 40 साल पहले हुई वो आज तक खत्म नहीं हो पाया है. सत्ताधारी बदले, काम बंद होने के बहाने बदले. साथ ही बदली प्रोजेक्ट की लागत, लेकिन जो नहीं बदला वो है इस क्षेत्र की दशा. जो दशकों से रेललाइन के जरिए विकास का इंतजार कर रहे हैं. 

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HIGHLIGHTS

  • समस्तीपुर-4 दशक से अधर में लटकी परियोजना
  • हसनपुर-सकरी रेल परियोजना कब होगी पूरी?
  • 1973 में परियोजना का हुआ था शिलान्यास
  • मिथिलांचल के विकास के लिए अहम

Source : News State Bihar Jharkhand

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