Hamar Bihar Conclave: मूल रूप से बिहार के बक्सर जिले से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत ने अपने करियर की शुरुआत सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ के रूप में की थी.
Hamar Bihar Conclave: कभी देश के बड़े-बड़े दलों की चुनावी रणनीति तैयार करने वाले प्रशांत किशोर अब बिहार में अपने नए राजनीतिक मंच जन सुराज के जरिए जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं. पिछले ढाई-तीन साल से वे लगातार गांव-गांव घूमकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं.
प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में गरीबी, पलायन और शिक्षा जैसी गंभीर समस्याओं से जनता परेशान है, लेकिन लोग बदलाव के लिए तैयार हैं. 'मेरी समझ के मुताबिक 60% से ज्यादा लोग बदलाव चाहते हैं. यह बदलाव किसी चेहरे का नहीं बल्कि अपनी स्थिति सुधारने का है. जनता को अब व्यवस्था बदलने की जरूरत समझ आ रही है.'
जाति नहीं, मुद्दों पर वोटिंग की बात
पीके का कहना है कि बिहार में जाति एक फैक्टर जरूर है, लेकिन केवल बिहार को जातिवादी कह देना गलत है. 'कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश में भी जाति आधारित राजनीति होती है. बिहार को पिछड़ा बताने के लिए सिर्फ जाति को दोष देना पूर्वाग्रह है. यहां के लोग भी इंदिरा गांधी, वी.पी. सिंह और मोदी जी की लहर में जाति से ऊपर उठकर वोट कर चुके हैं.'
कौन हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर, जिन्हें अक्सर 'पीके' के नाम से जाना जाता है, भारत के सबसे सफल चुनावी रणनीतिकारों और राजनीतिक विचारकों में से एक माने जाते हैं. मूल रूप से बिहार के बक्सर जिले से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत ने अपने करियर की शुरुआत सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ के रूप में की थी और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं के साथ काम किया. उनकी असली पहचान तब बनी जब उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक जीत के पीछे रणनीतिकार की भूमिका निभाई.
इसके बाद उन्होंने कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस जैसी विभिन्न पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति तैयार की और उन्हें सफलता दिलाने में अहम रोल निभाया. प्रशांत किशोर ने I-PAC (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी) की स्थापना की, जो भारत में डेटा-आधारित चुनाव प्रबंधन को पेश करने वाली अग्रणी संस्था बनी. हालांकि, उन्होंने कुछ समय बाद सक्रिय रणनीतिक भूमिकाओं से दूरी बना ली और ‘जन सुराज’ नामक जनांदोलन के जरिए बिहार में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कर चुके हैं.
बनाई जन सुराज पार्टी
प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी भी बनाई और बिहार चुनाव में अब सभी सीटों पर लड़ने का दावा किया है. प्रशांत किशोर की खासियत यह है कि वे जमीनी स्तर की समस्याओं को समझते हैं और उसी के आधार पर चुनावी रणनीतियां बनाते हैं. वे तकनीक, आंकड़ों और संवाद के अद्भुत संतुलन से राजनीति को नया आयाम देने वाले चेहरे बन चुके हैं.
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