Prashant Kishor: बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं. इसी बीच, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने भी सक्रियता बढ़ा दी है. उनकी जन सुराज यात्रा प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंच रही है, और इसी के साथ सवाल भी उठ रहे हैं कि इतना बड़ा अभियान चलाने के लिए पैसा कहां से आ रहा है?
सलाह लेने के 100 करोड़
हालांकि, पिछले वर्ष 31 अक्टूबर को गया जिले के बेलागंज में एक चुनावी सभा के दौरान प्रशांत किशोर ने इस सवाल का खुलकर जवाब भी दिया था. उन्होंने साफ कहा कि वह किसी से छिपकर काम नहीं कर रहे हैं, और उनके पास जो संसाधन हैं, वो उनकी मेहनत का नतीजा हैं. उन्होंने कहा, 'लोग पूछते हैं कि इतना खर्च कहां से करते हैं? तो सुन लीजिए, मैं जब किसी राजनीतिक पार्टी को सिर्फ सलाह देने जाता हूं, तो उसकी फीस 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा होती है.'
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10 राज्यों में चल रही सरकार
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, 'देश के 10 राज्यों में आज वो सरकारें चल रही हैं जो मेरी बनाई हुई रणनीति से बनी हैं. ऐसे में क्या मैं अपने अभियान के लिए टेंट और तंबू नहीं लगा सकता? दो साल तक पूरे बिहार में घूमते रहेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो एक चुनाव में सलाह देकर सारा खर्च निकाल लेंगे.'
कब लॉन्च हुई थी जन सुराज पार्टी
बता दें कि प्रशांत किशोर ने बीते वर्ष 2 अक्टूबर 2024 को ‘जन सुराज पार्टी’ लॉन्च की थी. साथ ही उन्होंने पार्टी के पहले अध्यक्ष (कार्यवाहक) मनोज भारती का नाम भी साझा किया था. पटना के वेटनरी ग्राउंड में जन सुराज का स्थापना अधिवेशन आयोजित किया गया था. बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले से जनसुराज पदयात्रा शुरू करने के ठीक दो साल बाद, उन्होंने पार्टी लॉन्च की थी . वह पिछले 3 साल से बिहार के गांव-गांव घूमकर लोगों से संवाद कर रहे हैं.
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प्रशांत किशोर का दावा है कि वह जनता के बीच जाकर वास्तविक समस्याओं को समझना और हल निकालना चाहते हैं. जन सुराज यात्रा में उनके साथ बड़ी संख्या में लोग और कई गाड़ियों का काफिला चलता है, जो अकसर चर्चा में रहता है. हालांकि, इसपर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर की यह रणनीति उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना सकती है, लेकिन विरोधी दल उन्हें बाहरी और 'ब्रांडेड' नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले चुनाव में उनकी असली परीक्षा होगी.
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