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prashant kishor Photograph: (Social)
Bihar:जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में जब उनसे सीट को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि व्यक्ति को दो ही जगह से चुनाव लड़ना चाहिए पहला एक अपनी जन्मभूमि और दूसरी अपनी कर्मभूमि. इसी दौरान उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी जन्मभूमि रोहतास जिले की करगहर विधानसभा है और वे यहीं से चुनाव लड़ना चाहेंगे.
ब्राह्मण बहुल सीट है करगहर
करगहर विधानसभा सीट ब्राह्मण मतदाताओं के दबदबे वाली मानी जाती है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी संतोष मिश्रा ने जीत दर्ज की थी. वहीं, जेडीयू के वशिष्ठ सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. इस बार सीट पर सियासी मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है क्योंकि यहां से समाजसेवी दिनेश राय के चुनाव लड़ने की चर्चा है. साथ ही भोजपुरी गायक रितेश पांडेय भी इस सीट पर दावा ठोकने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन प्रशांत किशोर के ऐलान के बाद समीकरण पूरी तरह बदलते दिख रहे हैं.
जन सुराज यात्रा से बनाई पकड़
पिछले दो वर्षों से प्रशांत किशोर बिहार के अलग-अलग जिलों में जन सुराज यात्रा निकालकर जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं. उनकी यह यात्रा गांव-गांव तक पहुंच चुकी है और इसी दौरान उन्होंने मौजूदा राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि पिछले तीन दशकों में बिहार की हालत में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ. उनका दावा है कि जनता अब पारंपरिक राजनीति से ऊब चुकी है और बदलाव चाहती है.
सियासी हलचल तेज
करगहर से प्रशांत किशोर की संभावित उम्मीदवारी ने महागठबंधन और एनडीए दोनों खेमों में हलचल मचा दी है. चूंकि यह सीट वर्तमान में महागठबंधन के कब्जे में है, इसलिए यहां मुकाबला कड़ा होने की पूरी संभावना है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर प्रशांत किशोर मैदान में उतरते हैं तो ब्राह्मण मतदाताओं के साथ-साथ युवा और पहली बार वोट डालने वाले भी उन्हें समर्थन दे सकते हैं.
प्रशांत किशोर के करगहर से चुनाव लड़ने के संकेत ने बिहार की राजनीति में नई जंग छेड़ दी है. यहां न सिर्फ पारंपरिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी, बल्कि यह भी देखा जाएगा कि जनता उनके नेतृत्व और नए राजनीतिक प्रयोग को कितना स्वीकार करती है. कुल मिलाकर करगहर सीट पर इस बार मुकाबला बेहद रोमांचक होने वाला है.
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