Politics: I.N.D.I.A के 'चाणक्य' का मास्टरस्ट्रोक, 'पिछड़ा कार्ड' से होगी चुनावी नैया पार!

2024 के चुनावी रण से पहले बिहार में नीतीश सरकार ने मास्टरस्ट्रोक खेला और इसी के साथ बिहार जातीय जनगणना के डेटा सार्वजनिक करने वाला देश का पहला राज्य बन गया.

2024 के चुनावी रण से पहले बिहार में नीतीश सरकार ने मास्टरस्ट्रोक खेला और इसी के साथ बिहार जातीय जनगणना के डेटा सार्वजनिक करने वाला देश का पहला राज्य बन गया.

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Vineeta Kumari
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I.N.D.I.A के 'चाणक्य' का मास्टरस्ट्रोक( Photo Credit : फाइल फोटो)

2024 के चुनावी रण से पहले बिहार में नीतीश सरकार ने मास्टरस्ट्रोक खेला और इसी के साथ बिहार जातीय जनगणना के डेटा सार्वजनिक करने वाला देश का पहला राज्य बन गया. दो चरणों में बिहार जातियों की गिनती कराई गई. जिसके बाद ये निकलकर आया कि नीतीश के गढ़ में कौन सी आबादी की कितनी बड़ी हिस्सेदारी है. बिहार में हुए कास्ट सेंसस पर पटना से लेकर दिल्ली तक सियासत गरमा गई है, लेकिन इस बीच सवाल यह है कि क्या देश में एक बार फिर मंडल वाली मुनादी बज गई क्योंकि जातिगत जनगणना की आड़ में सियासत चमकाने वालों की कतार लग गई है. सबसे पहले बात करते हैं जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों से निकलने वाले तीन बड़े संदेश की.

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यह भी पढ़ें- बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट के बाद आज जारी होगी जातियों की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट

जानिए जाति आधारित गणना के तीन अहम पहलू

पहला संदेश- बिहार में हिंदू आबादी घटी और मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ी. बिहार में जातीय जनगणना में हिंदुओं की कुल आबादी 81.99 फीसदी आई, जबकि 2011 में जनगणना हुई थी. तब ये आबादी 82 फीसदी के पार थी. इसी तरह बिहार में मुसलमानों की आबादी 17.70 प्रतिशत तक पहुंच गई, जबकि 2011 में मुस्लिम आबादी बिहार में 16.9 प्रतिशत थी.

दूसरा संदेश- 'पिछड़ा वोटर्स' पर है, जो 24 में गेमचेंजर हो सकते हैं. बिहार में अति पिछड़ा वर्ग की 36% आबादी है. जबकि OBC 27 प्रतिशत हैं. कुल मिलाकर बिहार में पिछड़े वर्गों की 63% आबादी हो गई, जो लोकसभा चुनाव में अहम साबित हो सकते हैं. सीएम नीतीश ने ही अति पिछड़ा वर्ग बनाया था. लिहाजा उन्हें इससे फायदे की उम्मीद है.

तीसरा संदेश- राष्ट्रीय स्तर पर कास्ट सेंसस की मांग और तेज होगी. 2024 चुनाव के लिए I.N.D.I.A का बड़ा मुद्दा कास्ट सेंसस ही होगा. महिला आरक्षण में OBC आरक्षण पर जोर होगा. जिसका असर अभी से दिखने भी लगा है. नीतीश कुमार के मास्टरस्ट्रोक से महागठबंधन खेमा गदगद है. नीतीश मॉडल को देश के लिए नजीर बता रहे हैं, तो वहीं इस पर बयानबाजी और क्रेडिट लेने की भी होड़ लगी है. एक तरफ जहां बिहार में सत्ता पक्ष पूरे देश में जातिय गणना की मांग कर रहा है और बीजेपी पर इसमें अड़ंगा लगाने का आरोप लगा रहा है. तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी महागठबंधन पर आंकड़ों में फर्जीवाड़े और जाति के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.

पुरुषों की तुलना में बढ़ी महिलाओं की संख्या

अब बिहार में हुई जातीय गणना किस पार्टी को कितना फायदा पहुंचाएगी, ये तो पता नहीं, लेकिन यह गणना महिलाओं के लिए गुड न्यूज़ लेकर आई है. दरअसल, बिहार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या पहले से बढ़ी है.
जातीय जनगणना बिहार में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़कर अब 953 हो गई है.
जनगणना 2011 के आधार पर बिहार में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 918 थी.
पिछले 12 साल में लिंगानुपात में 35 महिलाएं बढ़ी है और इस गणना में राज्य के पुरुषों की कुल संख्या 6.41 करोड़ और महिलाओं की कुल संख्या 6.11 करोड़ है. जातिगत जनगणना के आंकड़े भले ही बिहार में आए हैं, लेकिन इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है. खासकर इंडिया गठबंधन को तो मानो इस रिपोर्ट ने नया हथियार दे दिया है, लेकिन देखना ये होगा कि ये हथियार किसके खाते में वोट और किसके खाते में चोट देता है.

HIGHLIGHTS

  • अब 'पिछड़ा वोटर्स' के भरोसे 24 का 'रण'
  • जातीय गणना पर जारी है वार-पलटवार
  • 'पिछड़ा कार्ड' से होगी चुनावी नैया पार!

Source : News State Bihar Jharkhand

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