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यहां बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते लोग, हर तरफ बस गंदगी ही गंदगी

प्राथमिक विद्यालय रेलवे कॉलोनी पश्चिमी की बदहाली की तस्वीर देख आप समझ जायेंगे कि शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए यहां विभागीय स्तर पर क्या कुछ किया गया है. स्कूल के हर तरफ गंदे नाली का पानी जमा है.

Updated on: 19 Dec 2022, 12:18 PM

highlights

  • 17 सालों से स्कूल की बदहाली
  • दो कमरे के स्कूल में 180 बच्चे
  • पहली से पांचवी तक की पढ़ाई
  • स्कूल के पास गंदगी का अंबार

Saharsa:

शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की तमाम योजनायें सहरसा के एक सरकारी स्कूल में दम तोड़ रही है. बदहाली में स्कूल के बच्चों का भविष्य अधर में है. सेहत से खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग के कान पर मानो जूं तक नहीं रेंग रहा कि बच्चों के लिए पहल करें और स्कूल को दुरुस्त करें. सरकार का दावा है कि उसने बिहार की तस्वीर बदली है. विकास की नई लकीर खींची हैं, लेकिन सरकार के दावे, बिहार के स्कूलों में हवा हो जाते हैं. तभी तो पिछले 17 साल से सहरसा के एक सरकारी स्कूल की बदहाली पर नजर किसी की नहीं गई. 

प्राथमिक विद्यालय रेलवे कॉलोनी पश्चिमी की बदहाली की तस्वीर देख आप समझ जायेंगे कि शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए यहां विभागीय स्तर पर क्या कुछ किया गया है. स्कूल के हर तरफ गंदे नाली का पानी जमा है. सरकारी व्यवस्था में अगर कहीं कमी रह गई तो शहर के लोग उसे पूरा कर देते हैं. शहर का पूरा कचरा स्कूल के पास फेंका जाता है. स्वच्छ वातावरण में दुरुस्त शिक्षा का दूर-दूर से यहां कोई वास्ता नहीं. बच्चे स्कूल के बरामदे में बैठे होते हैं और बाहर गंदे नाली के बीच सूअरों का जमावड़ा लगा रहता है.

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स्कूल के आसपास पर गंदगी, बदबू, संक्रमण का खतरा. सोचिए नौनिहाल कैसे पढ़ते होंगे यहां. नौनिहाल कैसे इस बदहाली में अपना भविष्य गढ़ते होंगे. 17 सालों की इस बदहाली में ना जाने कितनी दफा शिक्षा विभाग से शिकायत की गई, लेकिन व्यवस्था इस तरह सो रही है कि मानो उन्हें नौनिहालों की फिक्र ही नहीं. बच्चे गंदे नाली में गिरते रहते हैं. उन्हें चोट लगती रहती है, लेकिन स्कूल के बदहाली की गूंज जिला मुख्यालय के आलिशान शिक्षा विभाग के दफ्तर में बैठे अधिकारियों की कान तक सुनाई नहीं पड़ रही है.