पद्मश्री सम्मानित रामचन्द्र मांझी का निधन, लौंडा डांस को दिलाई अंतर्राष्ट्रीय पहचान
छपरा के पद्मश्री रामचन्द्र मांझी जिंदगी की जंग हार गये और 97 वर्ष की उम्र में इलाज के दौरान पटना के आईजीएमएस अस्पताल में निधन हो गया.
Chapra:
छपरा के पद्मश्री रामचन्द्र मांझी जिंदगी की जंग हार गये और 97 वर्ष की उम्र में इलाज के दौरान पटना के आईजीएमएस अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन पर पूरे भोजपुरी क्षेत्र में शोक की लहर है. फिल्म स्टार गोरखपुर से सांसद रविकिशन ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है. भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले लोककलाकार भिखारी ठाकुर के लौंडा नाच परंपरा के लिए पद्मश्री से सम्मानित वयोवृद्ध कलाकार पद्मश्री रामचंद्र मांझी ने हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया. कई तरह के इंफेक्शन और हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से जूझ रहे रामचंद्र मांझी को गंभीर अवस्था में मढ़ौरा के स्थानीय राजद विधायक व बिहार सरकार में कला संस्कृति युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र कुमार राय की पहल पर पटना के आईजीएमएस में भर्ती करवाया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था.
सारण जिले के मढ़ौरा नगरा प्रखण्ड के तुजारपुर निवासी भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी रामचन्द्र मांझी 10 वर्ष की अवस्था में ही भिखारी ठाकुर के नाच मंडली से जुड़ गए थे. वे अनवरत 30 वर्षों तक भिखारी ठाकुर के नाच मंडली के सदस्य रहे. उन्हें 9 नवम्बर को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया. लौंडा नाच को पद्म श्री रामचंद्र मांझी ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, जब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. तब उनके साथ ही साथ लौंडा नाच को भी वह सम्मान मिला, जिसके लिए वह बरसों से संघर्ष कर रहे था.
5 दिन पूर्व गंभीर अवस्था में उन्हें पटना लाया गया था. यह भी विडंबना रही कि बिहार का कोई भी कलाकार पिछले 5 दिनों में रामचंद्र मांझी को देखने आईजीएमएस नहीं गया. सिर्फ बिहार सरकार के कला संस्कृति मंत्री और मढ़ौरा के स्थानीय विधायक जितेंद्र राय और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी उन्हें देखने गए, उनकी आर्थिक मदद भी की. छपरा के संस्कृति कर्मी जैनेंद्र दोस्त ने पद्मश्री रामचंद्र मांझी के मानस पुत्र की भांति अंतिम समय तक उनकी सेवा की.
पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद भी रामचंद्र मांझी और उनका परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझता रहा. एक कलाकार का दर्द कभी भी जुबान तक नहीं आया. रामचंद्र मांझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का वह सुनहरा अध्याय भी बंद हो गया, जिसमें संभावनाएं अपार थी. जिसने इस विस्मृत हो रही लोक कला को पुनर्जीवित करने की आशा की किरण जगाई थी. भोजपुरी में तब नाच का मतलब समाज की एक दिशा देने का तात्पर्य होता था, आज के युग मे भोजपुरी सिर्फ अश्लीलता ही है. इनके निधन के बाद अब भोजपुरी लौंडा डांस के एक युग का अंत हो गया.
रिपोर्टर- बिपिन कुमार मिश्रा
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी