शराबबंदी कानून: SC से नीतीश सरकार को फटकार, पूछा- क्यों न सभी अभियुक्तों को दी जाए जमानत?

सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से सवालिया लहजे में पूछा है कि क्यों ना शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को जमानत दे दी जाए?

author-image
Shailendra Shukla
New Update
sharab kand

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार( Photo Credit : File Photo)

बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है लेकिन धरातल पर कानून पूरी तरह लागू नहीं हो पा रहा है. कभी शराब से होने वाली मौतों को लेकर तो कभी राज्य में शराब के पकड़े जाने पर राज्य सरकार की लगातार फजीहत हो रही है. खासकर विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमला बोल रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट से भी बिहार सरकार को शराबबंदी कानून के लिए फटकार लगी है. सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से सवालिया लहजे में पूछा है कि क्यों ना शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को जमानत दे दी जाए?

Advertisment

दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी के मामलों पर सुनावाई के लिए विशेष अदालत के गठन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने में हो रही देरी को लेकर नीतीस सरकार को जमकर भटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवालिया लहजे में पूछा कि जब तक बुनियादी ढांचा नहीं बन जाता, तब तक के लिए सभी आरोपियों को क्यों ना बेल दे दी जाए?

ये भी पढ़ें-पूर्व CM कर्पूरी ठाकुर की 99वीं जयंती आज, समस्तीपुर के कर्पूरीग्राम दौरे पर नीतीश कुमार

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ द्वारा कहा गया कि 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया गया लेकिन राज्य सरकार ने अब तक विशेष अदालतों के गठन के लिए जमीन तक का भी आवंटन तक नहीं करा सकी है. इस दौरान पीठ ने बिहार सरकार के वकील से पूछा कि जब तक बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं हो जाता है क्या तब तक के लिए मद्यनिषेध कानून के तहत गिरफ्तार किए गए सभी अभियुक्तों को जमानत पर क्यों न रिहा किया जाए? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार विशेष अदालतों के गठन के लिए सरकारी भवनों को क्यों नहीं खाली करा ले रही है?

ये भी पढ़ें-Bihar Politics : छलका उपेंद्र कुशवाहा का दर्द, कहा- JDU लगातार कमजोर हो रही है

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि बिहार में शराबबंदी कानून के तहत 3.78 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ 4 हजार मामलों का निस्तारण किया हो पाया है, जो एक बड़ी समस्या है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि बिहार सरकार ने न्यायिक ढांचे और समाज पर इसके प्रभाव को देखे बिना ही कानून लागू कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां तक शराब के सेवन के लिए जुर्माना का प्रावधान है, ये ठीक है, लेकिन इसका संबंध कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्तों को सजा देने की शक्ति से है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को इस मुद्दे पर जरूरी निर्देश प्राप्त करने के लिए 7 दिन का समय दिया है.

HIGHLIGHTS

  • शराबबंदी कानून को लेकर हो रही बिहार सरकार की फजीहत
  • अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मंशा पर खड़े किए सवाल
  • पूछा-क्यों ना सभी शराबंदी कानून के आरोपियों को दे दी जाए जमानत?

Source : News State Bihar Jharkhand

Supreme Court बिहार सरकार बिहार समाचार Bihar Sharabbandi Kanun 2016 सुप्रीम कोर्ट Bihar Government बिहार शराबबंदी कानून Bihar News
      
Advertisment