फिर से दमकेगा बिहार का Taj, लौटेगी संगमरमरी चमक, इस ऐतिहासिक धरोहर का होने जा रहा जीर्णोद्धार

Bihar Tourism: मंदिर परिसर में भी सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है ताकि श्रद्धालु यहां एक स्वच्छ, शांत और आध्यात्मिक वातावरण में दर्शन कर सकें.

Bihar Tourism: मंदिर परिसर में भी सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है ताकि श्रद्धालु यहां एक स्वच्छ, शांत और आध्यात्मिक वातावरण में दर्शन कर सकें.

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Yashodhan.Sharma
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Nalanda jal mandir

Nalanda jal mandir Photograph: (Social)

Nalanda News: बिहार का गौरव कहलाने वाला पावापुरी स्थित भगवान महावीर स्वामी का पवित्र जल मंदिर अब एक बार फिर अपनी पुरानी संगमरमरी चमक हासिल करने जा रहा है. वर्षों से धूल, प्रदूषण और मौसम की मार झेलने के कारण इस ऐतिहासिक इमारत की सुंदरता फीकी पड़ गई थी, लेकिन अब इसका कायाकल्प किया जा रहा है. संगमरमर से बने इस मंदिर की सुंदरता और शांति को पुनर्जीवित करने के लिए जीर्णोद्धार कार्य पूरे जोर-शोर से जारी है.

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क्या है जल मंदिर की आस्था की कहाने

नालंदा जिले के पावापुरी में स्थित यह जल मंदिर न केवल जैन समुदाय की आस्था का प्रतीक है, बल्कि देश-विदेश के हजारों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी रहा है. एक शांत और मनमोहक सरोवर के बीच बसा यह मंदिर देखने वालों को अपनी अनोखी वास्तुकला और कलात्मकता से मंत्रमुग्ध कर देता है.

श्वेतांबर मंदिर प्रबंधन समिति कर रही देखरेख

मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य जैन श्वेतांबर मंदिर प्रबंधन समिति की देखरेख में चल रहा है. समिति ने इस धरोहर को उसकी मूल सुंदरता में वापस लाने की ठानी है. इसके लिए ओडिशा से विशेष रूप से बुलाए गए 21 कुशल कारीगर पिछले दो महीनों से लगातार काम में जुटे हुए हैं. ये कारीगर पारंपरिक शिल्प विधियों और आधुनिक रासायनिक तकनीकों का संयोजन कर मंदिर के संगमरमर को नए जीवन की चमक दे रहे हैं.

क्या कहते हैं शिल्पकार

शिल्पकारों ने मीडिया को बताया है कि संगमरमर की प्रत्येक परत को बड़े ध्यान से साफ किया जा रहा है, ताकि उसकी प्राकृतिक चमक बिना किसी क्षति के वापस लाई जा सके. मंदिर परिसर में भी सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है ताकि श्रद्धालु यहां एक स्वच्छ, शांत और आध्यात्मिक वातावरण में दर्शन कर सकें.

इसलिए खास है ये मंदिर

‘बिहार का ताजमहल’ कहे जाने वाले इस जल मंदिर की पहचान इसकी सफेद संगमरमर की भव्यता है, जो दूर से ही मन को शांति से भर देती है. यही वह पावन स्थान है जहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था. इसलिए यह स्थल जैन समाज के लिए अत्यंत पूजनीय है. जल्द ही इसके पुनर्जीवित स्वरूप को देखकर श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही गौरवान्वित महसूस करेंगे.

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