दंगल फिल्म तो आपने देखी ही होगी जिसमें एक पिता ने अपनी सभी बेटियों को समाज से लड़कर पहलवान बनाया था. कुछ ऐसी ही एक कहानी बेगूसराय के मुकेश स्वर्णकार की है. जिसने अपनी बेटियों को समाज के ताने को सुनते हुए पहलवान बनाया और आज वो पूरे राज्य का नाम रौशन कर रही है. मुकेश ने बताया कि दंगल फिल्म देखकर ही उन्हें ये प्रेणा मिली थी. जिसके बाद उन्होंने ये ठान लिया कि अपनी बेटियों को भी पहलवान बनाना है. जिसके बाद अब पूरे राज्य में उनकी चर्चा हो रही है.
2018 में पहली बार खेली थी कुश्ती
मुकेश स्वर्णकार की बेटी पहलवान निर्जला ने बताया कि साल 2018 में चैती दुर्गा पर महिला कुश्ती का आयोजन हुआ था. जिसमें उन्होंने पहली बार अपनी बहन के साथ कुश्ती खेली थी. शालिनी जो निर्जला की बड़ी बहन है उसका मुकाबला तो ड्रा हो गया था तो वहीं निर्जला ने अपने प्रतिद्वंदी को हराकर मुकाबला जीत लिया था. निर्जला ने बताया कि कैसे वो रोज सुबह उठकर अपने पिता के साथ प्रैक्टिस के लिए जाती थी.
आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं मुकेश
बता दें कि मुकेश स्वर्णकार बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के सलौना के रहने वाले हैं. मुकेश आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. उनकी पत्नी किराना दुकान चलाती हैं. पिता मुकेश ने बताया कि दोनों बेटियों का दाखिला अयोध्या नंदनी नगर एकेडमी में करवाया जिसके बाद उनकी पूरी दुनिया ही बदल गई. उन्होंने बताया कि पहले मेरी बेटी अखाड़े की मिट्टी में लड़ती थी, लेकिन अब वो मैट पर प्रैक्टिस कर रही है.
मदद की लगाई है गुहार
शर्म की बात तो ये है कि जिस बेटी ने बिहार का नाम रौशन किया है वो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपने सपने को उड़ान नहीं दे पा रही है. उन्होंने ने सीएम नीतीश कुमार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी तो वो एक दिन देश के लिए गोल्ड मेडल जरूर जीतेंगी.
DM ने मदद का दिया आश्वासन
दूसरी तरफ जिले के DM ने दोनों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें आर्थिक मदद देने का आश्वासन दिया है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि पहलवान दोनों बेटियों से राज्य की दूसरी बेटियों को प्रेरणा मिलेगी.
HIGHLIGHTS
- बेटियों को समाज के ताने को सुनते हुए बनाया पहलवान
- साल 2018 में दोनों बहन ने पहली बार खेली थी कुश्ती
- आर्थिक रुप से काफी कमजोर हैं मुकेश का परिवार
- दोनों बहन ने सीएम नीतीश से मदद की लगाई है गुहार
Source : News State Bihar Jharkhand