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मुद्दा आपका : बिहार की सत्ता बदली, BTET-CTET बेरोजगारों की किस्मत नहीं!

बिहार में किसी भी नौकरी को लेकर सिस्टम बिना विरोध प्रदर्शन और बवाल के क्यों नहीं जागता? आखिर क्यों बार-बार अभ्यर्थियों को पटना आकर धरना प्रदर्शन और हंगामा करने पर मजबूर होना पड़ता है?

Updated on: 24 Nov 2022, 05:29 PM

Patna:

बिहार में किसी भी नौकरी को लेकर सिस्टम बिना विरोध प्रदर्शन और बवाल के क्यों नहीं जागता? आखिर क्यों बार-बार अभ्यर्थियों को पटना आकर धरना प्रदर्शन और हंगामा करने पर मजबूर होना पड़ता है? 3 साल से ज्यादा वक्त से CTET-BTET पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली का इंतजार कर रहे हैं. इन तीन साालों में जब सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव विपक्ष में थे तो तब पुरजोर तरीके से अभ्यर्थियों की आवाज बनते थे और तब सत्ता में बैठी बीजेपी खामोश रहती थी और अब यही काम आरजेडी और तेजस्वी यादव कर रहे है. अब बीजेपी BTET-CTET अभ्यर्थियों की बात उठा रही है और आरजेडी सत्ता में है लेकिन खामोश है.

बीजेपी को अब इन अभ्यर्थियों से हमदर्दी होने लगी है. अब जरा सोचिए देश में पांच सालों में सरकार बदल जाती है, व्यवस्था बदल जाती है, इन मेहनतकश युवाओं की जिंदगी में भी परिवर्तन आया लेकिन इस परिवर्तन ने शिक्षक बनाने की जगह चायवाला बना दिया, नौनिहालों को पढ़ा लिखाकर देश के निर्माण करवाने की जगह, पकौड़े तलने को मजबूर कर दिया. चायवाला...पकौड़ेवाला, सब्जीवाला, ये ही नाम इन पढ़े लिखे बेरोजगारों का नया नाम बन चुका है. बिहार में हजारों बेरोजगार BTET-CTET पास अभ्यर्थी दो वक्त की रोटी के इंतजाम में चाय बेच रहे हैं, पकौड़े बेच रहे हैं और सब्जियां बेच रहे हैं. आज मुद्दा यही है कि इसके लिए आखिर जिम्मेदारा कौन है ? 

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'मुद्दा आपका' में आज बीजेपी की तरफ से पार्टी के प्रवक्ता डॉ. राम सागर सिंह, आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन,  आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन, शिक्षक अभ्यर्थी नितेश पांडे ने पक्ष रखा. डिबेट के दौरान शो के होस्ट संजय यादव ने जिम्मेदारों से जमकर तीखे सवाल पूछे. बीजेपी और आरजेडी दोनों ही अपना अपना बचाव करती नजर आईं लेकिन दोनों ही एक-दूसरे पर हमला बोलते रहे.

बेरोजगारों की अनंत संघर्ष कथा 

  • साल 2006 से शिक्षकों की भर्ती की जा रही है
  • पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे चरण की शिक्षक भर्ती कहा गया
  • आखिरी बार साल 2019 में छठे चरण की भर्ती निकाली गई थी
  • छठे चरण के तहत 94 हज़ार शिक्षकों के ख़ाली पदों पर भर्ती होनी थी
  • छठे चरण की भर्ती के लिए भी कई बार विरोध प्रदर्शन हुआ
  • 32 महीने बाद छठे चरण के तहत मात्र 42 हज़ार पदों पर नियुक्ति हुई
  • छठे चरण के लगभग 50 हज़ार से अधिक शिक्षको के पद खाली
  • सातवें चरण की बहाली को लेकर तीन साल से 90 हजार अभ्यर्थी को इंतजार
  • 2019 में सीटेट और बीटेट पास 90 हजार शिक्षक अभ्यर्थी हैं
  • सिस्टम की गलतियों के कारण छठे चरण में इन्हें मौका नहीं मिल पाया
  • महज 11 दिनों के अंतर से छठे चरण में इन्हें मौका नहीं मिल पाया
  • छठे चरण के नोटिफिकेशन निकलने के 11 दिन बाद सीटेट का रिजल्ट निकला
  • अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली का इंतजार कर रहे हैं
  • कई बार धरना प्रदर्शन के बावजूद सिर्फ इन्हें आश्वासन मिलता रहा