सीवान में भुखमरी के कगार पर मिल मजदूर, सालों से बकाया वेतन का इंतजार

बिहार सरकार की अनदेखी और ढूल मूल रवैये के चलते सीवान में सहकारी सुता मिल के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.

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Jatin Madan
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भुखमरी के कगार पर मिल मजदूर.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

बिहार सरकार की अनदेखी और ढूल मूल रवैये के चलते सीवान में सहकारी सुता मिल के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. कभी मिल में काम करने वाले मजदूर आज भी बकाया वेतन की आस में मिल परिसर में रह रहे हैं, लेकिन उन्हें ना तो बकाया वेतन मिला है और ना ही सरकार ने मिल बंद होने के बाद उनके लिए कोई इंतजाम किया है. ऐसे में इस रिपोर्ट के जरिए NEWS STATE BIHAR JHARKHAND मजदूरों की गुहार को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

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यहां एक तरफ सरकार ने सुता मिल के परिसर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण करवाया तो वहीं दूसरी ओर सुता मिल में काम करने वाले मजदूरों को उनकी हालत पर छोड़ दिया. आज ये मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं. इनके पास अब ना तो रोजगार का साधन रहा और ना ही सरकार से कोई आस. यहां तक की मजदूरों को बकाया वेतन भी नहीं मिला है.

सरकार की अनदेखी का झेल रहे दंश

सीवान में प्रदेश सरकार ने सालों पहले सुता मिल के भवन को तोड़कर सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज बनवा दिया. अब यहां के बाकी बचे खाली जमीनों पर छोटे-छोटे लघू उद्योग खोलने के लिए जमीन का आवंटन भी शुरू हो चुका है, लेकिन कभी मिल में काम करने वाले मजदूरों को सरकार ने भगवान भरोसे छोड़ रखा है. ये मजदूर आज भी मिल के खाली पड़े जमीन पर बने स्टाफ क्वार्टर में रह रहे हैं. यहां इनकी हालत बेहद दयनीय है. एक तो इनसे रोजगार छिन गया और दूसरी ओर सरकार ने इनके लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की. ऊपर से इन्हें आज तक इनका बकाया वेतन नहीं मिला है.

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मजदूरों की गुहार... कब सुनेगी सरकार?

मिल के मजदूर अब भुखमरी की कगार पर हैं. इस बीच सरकार की ओर से अब मिल परिसर खाली करने का भी आदेश जारी कर दिया गया है. इन मजदूरों के पास ना तो कोई जमीन है और ना ही अपना घर. ऐसे में स्टाफ क्वाटर ही एकमात्र सहारा है. लिहाजा सरकार के आदेश के बाद मजदूरों का कहना है कि अगर सरकार ने उनसे जमीन भी खाली करवा ली तो उनके पास कोई चारा नहीं बचेगा.

कभी मजदूरी कर अपना परिवार चलाने वाले मजदूर आज पाय पाय के मोहताज हो गए हैं. इन पर ना तो सरकार का ध्यान जाता है और ना ही प्रशासन का. मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, लेकिन उनकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. चुनावी रेस की तैयारी करने वाले जनप्रतिनिधि अगर उन लोगों पर भी ध्यान दे दें जिनके बदौलत वो सत्ता में बैठे हैं तो शायद इनके दिन बदल जाएंगे.

रिपोर्ट : निरंजन कुमार

HIGHLIGHTS

  • भुखमरी के कगार पर मिल मजदूर
  • सालों से बकाया वेतन का इंतजार
  • सरकार की अनदेखी का झेल रहे दंश
  • मजदूरों की गुहार... कब सुनेगी सरकार?

Source : News State Bihar Jharkhand

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