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झाड़ू लगाती लड़कियां( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)
पारा मेडिकल कॉलेज सुपौल के सभी छात्र आपको घास काटते और झाड़ू लगाती लड़कियां नजर आएंगी. यूं तो ये छात्र यहां लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से ट्रेनिंग के लिए आए हैं, लेकिन बीमारू व्यवस्था के बीच यह सब कुछ करना इनकी मजबूरी बनी हुई है. दरअसल, सुपौल के पारा मेडिकल कॉलेज में सूबे के विभिन्न हिस्सों से छात्र पढ़ाई के लिए आए हैं. यहां कॉलेज परिसर में ही इनके लिए छात्रावास भी है, लेकिन व्यवस्था के नाम पर कमरे के अलावा कुछ और नहीं है. यहीं कारण है कि बीते दिनों छात्रों ने विरोध स्वरूप ओपीडी सेवा बंद कर विरोध भी जताया, लेकिन दो महीना गुजरने के बाद भी अधिकारियों के आश्वासन ढाक के तीन पात ही निकले.
चहारदीवारी तक का नहीं कराया गया निर्माण
आपको बता दें कि कॉलेज और छात्रावास के लिए यहां चहारदीवारी तक का निर्माण नहीं कराया गया है और ना ही पर्याप्त संख्या में गार्ड की तैनाती की गई है. वहीं, सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था भी पूरे परिसर में कहीं नहीं है. यही कारण है कि यहां रहने वाली छात्राएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं. वहीं, इसके अलावा साफ सफाई और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी चौपट है.
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शौचालय की सफाई भी करवाते हैं खुद
खाने पीने के लिए छात्र बाहर से डब्बे वाला पानी खरीदने को मजबूर हैं. वहीं, कमरे से लेकर पूरे परिसर की सफाई भी खुद ही करनी पड़ती है. छात्र बताते हैं कि निजी रूप से सक्षम छात्र प्रति व्यक्ति 100 रुपए का साप्ताहिक चंदा जुटा कर शौचालय की सफाई भी खुद ही करवाते हैं. जबकि बांकी सारी सफाई भी खुद ही करनी पड़ती है. जाहिर है, इन सबका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है. बहरहाल सिविल सर्जन ने एक बार फिर जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है.
रिपोर्ट - केशव कुमार
HIGHLIGHTS
- चहारदीवारी तक का नहीं कराया गया है निर्माण
- पर्याप्त संख्या में गार्ड की तैनाती नहीं की गई
- सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था भी पूरे परिसर में कहीं नहीं है
Source : News State Bihar Jharkhand