बिहार चुनाव में नई उम्मीद बनकर उभरीं मैथिली ठाकुर, अब सियासी पिच पर गूंजेगी आवाज

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. इस बार एक चेहरा सुर्खियों में है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं लोकप्रिय लोक गायिका मैथिली ठाकुर...

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. इस बार एक चेहरा सुर्खियों में है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं लोकप्रिय लोक गायिका मैथिली ठाकुर...

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Ravi Prashant
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Maithili Thakur

मैथिली ठाकुर Photograph: (NN)

बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. इस बार एक चेहरा सबसे ज्यादा सुर्खियों में है. लोकप्रिय लोकगायिका मैथिली ठाकुर, जिन्होंने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थामा है. पार्टी ने उन्हें दरभंगा जिले की आलिनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. मैथिली की एंट्री को बीजेपी की एक रणनीतिक चाल माना जा रहा है, जिससे पार्टी युवा मतदाताओं और मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक भावनाओं को साधना चाहती है. 

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आखिर मैथिली ठाकुर ही क्यों? 

बीजेपी को अच्छी तरह मालूम है कि बिहार में केवल जातीय गणित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव और भावनात्मक अपील भी गहरी भूमिका निभाते हैं. मैथिली ठाकुर जैसे चेहरे को सामने लाकर पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह केवल राजनीतिक ताकत नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा की संवाहक भी है. 

संगीत से शुरू हुआ सफर

मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी इलाके में हुआ था. उनका परिवार संगीत से जुड़ा रहा है. पिता रमेश ठाकुर एक मैथिल संगीतकार और संगीत शिक्षक हैं, जबकि मां भारती ठाकुर भी परिवार की सांस्कृतिक परंपरा में गहराई से जुड़ी हैं. उनके दो भाई ऋषव और आयाची ठाकुर उनके साथ संगीत प्रदर्शन में सक्रिय रहते हैं. 

दादा और पिता के मार्गदर्शन में सीखा संगीत

बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली मैथिली ने महज चार साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू किया। पहले दादा के मार्गदर्शन में और बाद में पिता के निर्देशन में उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. बेहतर अवसरों के लिए उनका परिवार दिल्ली के द्वारका में बस गया, जहां से मैथिली ने संगीत के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी.

लिटिल चैंप्स जैसे शो का हिस्सा रहीं

दस साल की उम्र तक वे जागरनों और धार्मिक आयोजनों में गाना शुरू कर चुकी थीं. बाद में उन्होंने लिटिल चैंप्स, इंडियन आइडल जूनियर और राइजिंग स्टार जैसे राष्ट्रीय स्तर के रियलिटी शो में भाग लिया. राइजिंग स्टार में वह फाइनलिस्ट रहीं और पूरे देश में अपनी गायकी से पहचान बनाई. 

डिजिटल प्लेटफॉर्म से बनी मिथिला की आवाज

रियलिटी शोज के बाद मैथिली ठाकुर ने सोशल मीडिया को अपनी ताकत बनाया. उनका यूट्यूब चैनल “Maithili Thakur” आज लाखों सब्सक्राइबर्स वाला प्लेटफॉर्म है, जहां वे हिंदी, मैथिली, भोजपुरी, बंगाली, और उर्दू में लोकगीत, भजन और शास्त्रीय गायन साझा करती हैं. 

नेशनल अवार्ड से भी मिला सम्मान

उनकी लोकप्रियता सिर्फ आवाज की वजह से नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक जड़ों से है, जिन्हें उन्होंने कभी नहीं छोड़ा. वे आज मिथिला संस्कृति की नई पीढ़ी की प्रतीक बन गई हैं. इसी वजह से भारत सरकार ने उन्हें “National Creators Award-Cultural Ambassador of the Year” से सम्मानित किया है. इसके अलावा उन्हें लोकमत सूर ज्योत्सना नेशनल म्यूज़िक अवॉर्ड और मधुबनी जिले की ब्रांड एंबेसडर की जिम्मेदारी भी दी गई. 

नई भूमिका और नई चुनौती

14 अक्टूबर 2025 को मैथिली ठाकुर ने औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण की. पार्टी ने उन्हें आलिनगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वे अपने गृह क्षेत्र बेनीपट्टी (मधुबनी) से चुनाव लड़ेंगी, लेकिन बीजेपी ने रणनीतिक रूप से उन्हें दरभंगा जिले में उतारने का निर्णय लिया. 

मैथिली ठाकुर ने पार्टी जॉइन करते हुए कहा कि “मेरे लिए यह मंच समाज की सेवा का माध्यम है. अगर जनता का समर्थन मिला, तो मैं शिक्षा, संस्कृति और युवाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करूंगी.” उन्होंने आगे कहा कि राजनीति उनके लिए सत्ता का रास्ता नहीं, बल्कि परिवर्तन का जरिया है. 

युवा और सांस्कृतिक वोटरों पर दांव

बीजेपी की रणनीति साफ है. वह मैथिली ठाकुर के जरिए मिथिला क्षेत्र में सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करना चाहती है. पार्टी मानती है कि मैथिली जैसी लोकप्रिय शख्सियत, जिनकी सोशल मीडिया पर करोड़ों की पहुंच है, युवाओं को सीधे जोड़ सकती हैं. 

क्या कह रहे हैं राजनीतिक एक्सपर्ट? 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारना बीजेपी की संस्कृति और युवा शक्ति के मेल की नई रणनीति है. मिथिला क्षेत्र में जहां अब तक राजनीति जातीय समीकरणों पर टिकी रही, वहीं अब पार्टी इसे गौरव और सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे पर बदलना चाहती है.

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