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बिहार में चुनाव से पहले मचा महासंग्राम, महागठबंधन में टूट की आहट

पिछले कई महीनों से महागठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमिटी की मांग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी इस कदर खफा हो गए हैं कि अब आरपार के मूड में हैं.

Updated on: 22 Jun 2020, 03:26 PM

पटना:

बिहार (Bihar) में राजनीतिक दलों ने संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी है. फिलहाल शोर महागठबंधन से आ रहा है. लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, जीतन राम मांझी की हम पार्टी, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने मिलकर महागठबंधन बना रखा है. मगर अब इसकी दीवारें दरक रही हैं. पिछ्ले कई महीनों से महागठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमिटी की मांग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी इस कदर खफा हो गए हैं कि अब आरपार के मूड में हैं.

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जी हां, उन्होंने महागठबंधन को डेडलाइन कि 25 तारीख तक कमिटी बने नहीं तो फिर मांझी अपनी नैया महागठबंधन से बाहर ले जा सकते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने न्यूज़ नेशन से बातचीत में ये भी साफ किया कि 26 जून को हम पार्टी के कोर कमेटी की बैठक कर निर्णय ले लिया जाएगा. बार बार राजद के नेता मांझी को याद दिलाते हैं कि उनके पुत्र संतोष को लालू प्रसाद के दया पर विधान परिषद में जगह मिली है, जिस पर मांझी ने साफ किया कि लालू यादव ने मेरे बेटे को एमएलसी बना कर कोई एहसान नहीं किया. हमने कुछ नहीं मांगा, हमारी उपयोगिता हमेशा थी. जीतन राम माझी ने कहा कि वह आज कहें तो मैं बेटे से इस्तीफा दिलवा दूंगा. उन्होंने साथ ही ये भी साफ किया कि राजनीति संभावनों का खेल है और उनके लिए विकल्प खुले हैं.

इधर तेजस्वी यादव गोलबंदी बढ़ाने में जुटे हैं. रविवार की देर रात के लोजपा के पूर्व सांसद रामा सिंह ने तेजस्वी यादव से की मुलाकत. अब वो लालटेन थामेंगे. कभी लालू यादव और रघुवंश प्रसाद के कट्टर विरोधी रहे पूर्व सांसद और बाहुबली नेता रामा सिंह 29 जून को सैकड़ों समर्थकों के साथ आरजेडी में शामिल होंगे. वैशाली लोकसभा क्षेत्र से 2014 में रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे. रामा सिंह तब लोजपा से जीते थे. रामा सिंह अब तेजस्वी की टीम में शामिल होंगे.

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सो ऐसी गोलबंदी के प्रयासों के बीच जीतन राम मांझी के धमकी से लालू की पार्टी तिलमिला गई है. राजद के प्रवक्ता मृत्युन्जय तिवारी ने मांझी को हिदायत दी है कि प्रेशर पॉलिटिक्स न करें. उन्होंने कहा कि एक विधायक वाली उनकी पार्टी और तब भी उनके पुत्र को लालू प्रसाद ने विधान परिषद भेजा. राजद ने हिदायत दी कि तेजस्वी एक्सप्रेस खुल चुकी है, जो चढ़ेगा वो चुनाव पार करेगा, नहीं तो किनारे लग जाएगा.

उधर, इस पूरे बवाल के बीच सत्तारूढ़ दल में खुशी हैं. मांझी के इस बेबाकपन की दबे स्वर में ये भी सराहना कर रहे हैं. जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन की मानें तो आने वाले चुनाव का परिणाम सभी को पता है, सो हर कोई नीतीश कुमार की तरफ देख रहा है. इनकी मानें तो महागठबंधन के साथ कोई रहने वाला नहीं है. तो अब बिहार के इस सियासी गर्मी में हर दिन सियासत तेज़ होगी. फिलहाल सभी की नजर मांझी के पतवार पर रहेगी.

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