बिहार (Bihar) में कोरोना काल और बाढ़ के बीच चुनाव कराने की तैयारी है. तय समय पर चुनाव कराने को लेकर संभावनाएं के चलते राजनीतिक दल भी जोरशोर से अपनी तैयारी में लगे हुए हैं. मगर इस बीच खबर यह है कि रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) बिहार में नीतीश कुमार सरकार से अपना समर्थन वापस ले सकती है. सूत्रों का कहना है कि पासवान ने जदयू (JDU) के साथ गठबंधन पर फैसले को लेकर पार्टी के पटना कार्यालय में लोजपा नेताओं की बैठक बुलाई है.
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सूत्रों के अनुसार, लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान बीते गुरुवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिले थे. इस दौरान अन्य मुद्दों के साथ इस विषय पर पार्टी संगठन के मुद्दे पर भी चर्चा की थी. कहा जा रहा है कि लोजपा जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह के बयान से आहत है. बीते दिनों पार्टी ने ललन सिंह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान करने का आरोप लगाया था. लोजपा के एक नेता ने कहा, 'ललन सिंह ने प्रधानमंत्री का अपमान किया है. हम नीतीश कुमार सरकार से अपना समर्थन वापस ले सकते हैं.'
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ललन सिंह ने हाल ही में पासवान पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह कालिदास की तरह पेड़ की उसी डाल को काट रहे हैं, जिस पर वह बैठे हैं. लोजपा ने कहा है कि ललन सिंह ने पासवान के एक ट्वीट को लेकर निशाना साधा था, जिसमें लोजपा अध्यक्ष ने कोविड-19 की जांच बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार समेत अनेक मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने पर मोदी की तारीफ की थी.
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इस बीच गौर इस बात भी किया जाए कि लोजपा इस साल की शुरुआत ही से ही नीतीश कुमार के खिलाफ कई बयान दे चुकी है. ऐसे में पहले से ही यह माना जा रहा है कि लोजपा चुनाव में भी अकेले उतर सकती है. फिलहाल बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में लोजपा के दो विधायक हैं. हालांकि लोजपा अभी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार से अपना समर्थन वापस भी ले लेती है तो इससे सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मगर यह पूरा घटनाक्रम राज्य में बीजेपी के दोनों सहयोगी दलों के बीच बढ़ती दरार को जरूर दर्शाता है.