Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को 'जमीन के बदले नौकरी घोटाले' मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है.
दरअसल, लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया है. हालांकि, कोर्ट ने उन्हें निचली अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट जरूर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले में सुनवाई तेज करने का भी निर्देश दिया है.
14 साल बाद शुरू हुई जांच
इस मामले में लालू यादव की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसबी राजू पेश हुए. लालू यादव ने अपनी याचिका में सीबीआई की FIR और 2022, 2023 व 2024 में दायर आरोपपत्रों को खारिज करने की मांग की थी. उन्होंने तर्क दिया कि यह जांच 14 साल बाद शुरू की गई है और पहले की जांच को छिपाकर दोबारा जांच करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है.
ये है सीबीआई का आरोप
सीबीआई का आरोप है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे (2004-2009), उस दौरान रेलवे में ग्रुप डी की भर्तियों के बदले में उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीनें ट्रांसफर की गईं. इन जमीनों का हस्तांतरण लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और बेटियों मीसा भारती व हेमा यादव के नाम पर किया गया.
2022 में दर्ज हुई थी एफआईआर
इस मामले में सीबीआई ने मई 2022 में एफआईआर दर्ज की थी. इसमें लालू यादव, उनके परिवार के सदस्य, अज्ञात सरकारी अधिकारी और निजी व्यक्तियों सहित 78 लोगों को नामजद किया गया है. पिछले साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.
फिलहाल इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में जारी है, और सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से लालू यादव को कोई बड़ी राहत नहीं मिली है. आने वाले चुनाव से पहले यह मामला आरजेडी की राजनीतिक रणनीति पर भी असर डाल सकता है.
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