लालू यादव किसके लिए जेल से चुटकुले लिखकर भेजते थे!
1970 में लालू ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव के रूप में राजनीतिक शुरुआत की. उसके बाद कभी भी मुड़कर पीछे नहीं देखे.
highlights
- राबड़ी देवी ने लालू के कंधे से कंधा मिलाया
- घर से लेकर विधानसभा तक की जिम्मेदारी संभाली
- गृहणी से लेकर सीएम तक की जिम्मेदारी संभाली
Patna:
देश की राजनीति की बात हो और लालू यादव का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता. बिहार में तो लालू यादव का नाम पहले भी गूंजता था और आज भी. लालू की एक आवाज ही आज भी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर देती है. लालू के बोलने का अंदाज, हंसी मजाक में ही बड़ी बात कह जाना, शुद्ध देहाती व्यक्तित्व किसी को भी अपना कायल बना लेने के लिए काफी है. अपने छात्र जीवन से ही लालू यादव राजनीति से जुड़ गए थे. 1970 में लालू ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव के रूप में राजनीतिक शुरुआत की. उसके बाद कभी भी मुड़कर पीछे नहीं देखे. 1974 में जब जयप्रकाश नारायण ने ‘छात्र आंदोलन’ का आह्वान किया तो लालू भी उसमें शामिल हो गए औऱ कई बार जेल जाना पड़ा और जेल से ही उनके अंदर का वास्तविक नेता बाहर निकलकर आता है.
एक तरफ उनकी शादी हुई थी तो दूसरी तरफ उन्हें जेल जाना पड़ा. जेल में राबड़ी देवी उनसे मिलने जाती थीं. उनकी शादी 1 जून 1973 को हुई. ये वो समय था जब पूरे देश में खासकर बिहार में युवा केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ आक्रोश से भरा था. लालू भी उस सिस्टम का शिकार थे और उन्होंने भी जेपी आंदोलन में बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया. आंदोलन को दौरान लालू कई बार जेल गए और अपनी नई शादी को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाए.
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एक टीवी शो में लालू यादव और राबड़ी देवी ने संयुक्त रूप से खुलासा किया था कि लालू यादव अपनी पत्नी को जेल से ही चुटकुले लिखकर भेजते थे. इतना ही नहीं राबड़ी देवी भी लालू से मिलने अक्सर जेल जाया करती थीं. राबड़ी देवी ने टीवी शो में बताया था, 'शुरू- शुरू में जब ये जेल गए तो छोटा- छोटा चुटकुला लिखकर भेजते थे और उसे दुखिया के हाथ से मेरे पास भेजते थे.’
राबड़ी देवी की बात को बल देते हुए लालू ने कहा था कि ‘बात सिर्फ ये नहीं है, राबड़ी देवी खुद जेल पहुंच जाती थीं.’ ये बात जगजाहिर है कि लालू यादव और राबड़ी देवी के बीच हमेशा एक सामंजस्य का भाव बना रहा. राबड़ी देवी हर समय लालू के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहीं. जब लालू राजनीति के भंवर में थे तब राबड़ी ने अकेले ही परिवार की जिम्मेदारियां संभाली. 1977 में महज 29 साल की उम्र में ही लालू सांसद बने थे. उसके बात समय बीतता गया और लालू यादव बिहार के सीएम बनते हैं. बुरा समय आने पर व लालू के जेल जाने पर राबड़ी देवी बिहार की सीएम बनती हैं. कुल मिलाकर राबड़ी देवी ने घर से लेकर सदन तक लालू यादव का साथ बखूबी दिया.
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