पत्नी को सीधे CM बनवाने वाले लालू न दें लोकलाज पर ज्ञान, मोदी ने दिया जवाब
बिहार (Bihar) के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लोकलाज वाली टिप्पणी पर पलटवार किया है.
पटना:
बिहार (Bihar) के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लोकलाज वाली टिप्पणी पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि लालू इन दिनों हताश हैं और वो नए नए शब्द खोजकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि पत्नी को सीधे मुख्यमंत्री बनवाने वाले लालू लोकलाज पर ज्ञान न दें. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में अगर राजद नकारात्मक का लॉकडाउन (Lockdown) कर सरकार के प्रयाशों में सहयोग देता, गरीबों और मजदूरों का भला होता.
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राबड़ी देवी और लालू को घेरते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'जिस राबड़ी देवी ने कांग्रेस के सभी विधायकों को मंत्री-पद देकर अपनी अल्पमत सरकार चलाई, वे दूसरों को बिकाऊ कह रही हैं. लालू परिवार इन दिनों इतनी हताशा में है कि शब्दकोश से खोज-खोज कर सरकार की आलोचना कर रहा है. कोरोना संकट के समय अगर राजद नकारात्मकता का लॉकडाउन कर सरकार के प्रयासों में सहयोग देता, गरीबों-मजदूरों का ज्यादा भला होता.' उन्होंने कहा, 'वे दिल्ली सरकार के झूठे प्रचार पर मुग्ध होते हैं, लेकिन बिहार की पहल दिखाई नहीं पड़ती.'
सुशील मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'लालू-राबड़ी राज में नैतिकता को ताक पर रख कर चारा-अलकतरा घोटाले किए गए. सड़क, बिजली, सिंचाई के विकास की उपेक्षा करना और अपहरण उद्योग को संरक्षण देना उनकी महान आर्थिक नीति का आधार था. लालूनानिक्स में कालेधन से रंगभेद नहीं किया जाता था. सामाजिक संतुलन का सूत्र वाक्य था- भूरा बाल साफ करो.'
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उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, 'लोकलाज का आदर्श तो तब स्थापित हुआ, जब चारा घोटाला में जेल जाने की नौबत आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तमाम वरिष्ठ नेताओं को धकिया कर अपनी पत्नी (राबड़ी देवी) को खड़ाऊं मुख्यमंत्री बनवा दिया. जिन्होंने संविधान, लोकलाज और राजधर्म की मर्यादाएं तोड़ीं, वे जेल से ज्ञान दे रहे हैं.'
बता दें कि लालू प्रसाद यादव ने रविवार को बिहार सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने ट्वीट कर कहा था, 'बिहार सरकार अपना, नैतिक, प्राकृतिक, आर्थिक, तार्किक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, व्यवहारिक, न्यायिक, जनतांत्रिक और संवैधानिक चरित्र एवं संतुलन पूरी तरह खो चुकी है. लोकलाज तो कभी रही ही नहीं लेकिन जनादेश ड़कैती का तो सम्मान रख लेते. 15 बरस का हिसाब देने में कौनो दिक़्क़त बा?'
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