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नेपाली सेना ने हिरासत में लिए भारतीय को रिहा किया, देश लौटे लगन यादव ने लगाए गंभीर आरोप

बिहार के सीतामढ़ी जिले में भारत-नेपाल सीमा के पास हुई शुक्रवार को गोलीबारी के बाद नेपाली सेना द्वारा हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिक लगन यादव को रिहा कर दिया गया है.

Updated on: 13 Jun 2020, 01:01 PM

सीतामढ़ी:

बिहार (Bihar) के सीतामढ़ी जिले में भारत-नेपाल सीमा के पास हुई शुक्रवार को गोलीबारी के बाद नेपाली सेना द्वारा हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिक लगन यादव को रिहा कर दिया गया है. नेपाल सेना की हिरासत से रिहा होकर 45 वर्षीय लगन यादव अपने घर आ गया है. जहां उसने नेपाल (Nepal) की सेना पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. लगन किशोर यादव ने बताया कि उसका बेटा और वह अपनी बहू (एक नेपाली नागरिक) से मिलने के लिए सीमा पर थे. उस तरफ से सुरक्षाकर्मियों (नेपाली) ने मेरे बेटे को मारा.

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लगन यादव ने बताया कि जब मैंने पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया है तो उन्होंने मुझे चुप रहने को कहा. बाद में उन्होंने 10 और सुरक्षाकर्मियों को बुलाया, वे सीमा पर आए और हवा में गोलियां दागीं. उसने कहा, 'हम फायरिंग शुरू करने पर भारत लौटने के लिए दौड़े, लेकिन उन्होंने मुझे भारत की तरफ से घसीटा, राइफल की बट से मारा और मुझे नेपाल के संग्रामपुर ले गए. उन्होंने मुझे बताया कि मैं नेपाल से वहां लाया गया था. मैंने उनसे कहा कि आप मुझे मार सकते हैं, लेकिन मुझे भारत से लाया गया था.'

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बता दें कि सीतामढ़ी के रहने वाले 45 वर्षीय लगन यादव और अन्य व्यक्ति शुक्रवार को नेपाली बहू से मिलने पहुंचे थे. जिस पर नेपाल सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के कर्मियों ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद वहां ग्रामीणों और नेपाली सुरक्षा कर्मियों में झड़प हो गई थी. इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए. एपीएफ ने घटना के बाद लगन यादव को हिरासत में ले लिया गया.

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भारतीय अधिकारियों के अनुसार, घटना ‘नो मेन्स लैंड’ (दो देशों की सीमा के बीच का स्थान जिस पर किसी का अधिकार नहीं होता) से 75 मीटर भीतर नेपाल (Nepal) की सीमा में उस समय हुई, जब कुछ महिलाएं और यादव अपनी बहू से बात कर रही थीं. सीमा पर गश्त कर रहे एपीएफ कर्मियों ने इन लोगों को भारतीय क्षेत्र में जाने को कहा. एपीएफ कर्मियों की आपत्ति के बाद बहस हुई तथा यादव के समर्थन में कुछ और ग्रामीण भारतीय सीमा से आ गए. बाद में एपीएफ ने फायरिंग कर दी. गौरतलब है कि स्थानीय लोगों की सीमा के दोनों ओर रिश्तेदारी हैं. कोई बाड़ नहीं होने की वजह से लोग सीमा के दोनों ओर रिश्तेदारों से मिलने आते-जाते रहते हैं.

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