जानें छठ पूजा में बांस के सूप का महत्व, संतान की उन्नति से जुड़ा है कारण
हिंदू धर्म में छठ पूजा को सबसे पवित्र पर्व में से एक माना जाता है. बता दें कि, लगातार चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित होता है.
highlights
- छठ पूजा में क्या है बांस के सूप का महत्त्व
- संतान की तरक्की से जुड़ा है कारण
- 20 नवंबर को होगा छठ पूजा का समापन
Patna:
Chhath Puja 2023: हिंदू धर्म में छठ पूजा को सबसे पवित्र पर्व में से एक माना जाता है. चार दिनों तक चलने वाला यह छठ पर्व 17 नवंबर शुक्रवार से शुरू हो चुका है और 20 नवंबर को इसका समापन होगा. बता दें कि, छठ में बांस के सूप का बहुत बड़ा और विशेष महत्व होता है. आपको बता दें कि, लगातार चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व का लोगों को काफी बेसब्री से इंतजार रहता है. छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित होता है. इस अवधि के दौरान, भक्त अपने बच्चों की सुरक्षा और अपने परिवार की भलाई के लिए उपवास रखते हैं. कई जगहों पर छठ को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से जाना जाता है.
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आपको बता दें कि छठ पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि छठ केवल संतान के लिए किया जाता है. दरअसल इसके पीछे बहुत बड़ा धार्मिक महत्व छिपा है. छठ पूजा नि:संतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए करते हैं. इतना ही नहीं, इस व्रत को करने से न सिर्फ संतान का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, बल्कि उसे जीवन में हर तरह की सफलता मिले इसके लिए भी यह व्रत किया जाता है. वहीं मूल रूप से देखा जाए तो इस पूजा को संतान के लिए ही किया जाता है. इसलिए छठ में बांस के सूप का उपयोग किया जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि जैसे-जैसे बांस तेजी से बढ़ता है, वैसे बच्चों की भी तरक्की हो इसीलिए छठ में बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है और इसके बिना यह पूजा अधूरी है.
इसके साथ ही आपको बता दें कि, छठ में सूर्य की पूजा करते समय अर्घ्य देते समय बांस के सूप का ही उपयोग किया जाता है. पूजा के समय व्रती बांस से बने सूप, टोकरी या देउरा में प्रसाद रखकर छठ घाट पर जाते हैं. फिर उन्हीं सामग्रियों से सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. बांस से बने इन सूपों और टोकरियों की मदद से इन्हें छठी मैया को चढ़ाया जाता है. वहीं मान्यताओं की माने तो बांस से पूजा करने से धन और संतान के सुख की प्राप्ति होती है.
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