बेतिया में रंग-बिरंगे खेती से चर्चा में आए कमलेश, PM मोदी से मिली प्रेरणा

पश्चिम चम्पारण के बेतिया जिले के मुशहरवा गांव निवासी एक किसान कमलेश चौबे रंग-बिरंगे खेती करने के कारण चर्चा में है.

पश्चिम चम्पारण के बेतिया जिले के मुशहरवा गांव निवासी एक किसान कमलेश चौबे रंग-बिरंगे खेती करने के कारण चर्चा में है.

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Vineeta Kumari
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बेतिया में रंग-बिरंगे खेती से चर्चा में आए कमले( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

पश्चिम चम्पारण के बेतिया जिले के मुशहरवा गांव निवासी एक किसान कमलेश चौबे रंग-बिरंगे खेती करने के कारण चर्चा में है. कमलेश चौबे द्वारा काला चावल, लाल चावल, लाल गेंहू, सहित कई तरह की अनाज का खेती कर चुके हैं. कमलेश चौबे के मुताबिक इस बार बिहार में पहली बार काले प्याज की खेती उन्होंने की है. बिहार के बेतिया जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर बसा मुसहरवा गांव जहां के निवासी किसान कमलेश कुमार पारंपरिक खेती धान, गेहूं की खेती में विभिन्न प्रकार की खेती से चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने चम्पारण की धरती पर काले प्याज की खेती की है. वह चम्पारण की धरती पर अलग-अलग तरह की फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, जो देश के कुछ ही गिने चुने राज्यों में उपजाई जा रही है.

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बेतिया में रंग-बिरंगे खेती से चर्चा में कमलेश

कमलेश से जब बात हुई तो उसने बताया कि वह 2019 से खेती कर रहे हैं. शुरू से ही वह ऐसे अनाज, फल और सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जो देश के कुछ ही चुनिंदा जगहों पर उपजाए जाते हैं. इस खेती में रंग-बिरंगी सब्जियों के साथ ही रंग बिरंगे अनाज जिसमें चावल-गेहूं सभी शामिल है. इसके साथ ही कमलेश ने बताया कि इस तरह की खेती की प्रेरणा उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली, जब वह इजराइल दौरे पर थे. जिसके बाद वो हरियाणा से काले प्याज की बीज करीब 1000 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मंगाया था.

काले प्याज की बढ़ी मांग

हरियाणा से बीज आने के बाद फरवरी में खेत में इसका छिड़काव किया और मई आते ही काले प्याज की उपज होने लगी. इसके साथ ही कमलेश चाहते हैं कि वह खुद से काले प्याज के बीज का भी उत्पादन शुरू कर दें, वहीं पूर्णिया, मधुबनी समेत अन्य जिलों के किसान उनसे इस बीज को खरीदने के लिए तैयार हैं. कमलेश का उद्देश्य है कि चंपारण के किसान विभिन्न प्रकार की खेती करें और जिले का राम रौशन करें. वहीं, इस संबंध मे जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि इस तरह की खेती समय की मांग है. कम लागत में अधिक मुनाफा होता है, साथ ही काला प्याज, काला धान जैसे फसल मे पोषक तत्व अधिक पाया जाता है.

HIGHLIGHTS

  • रंग-बिरंगे खेती से चर्चा में कमलेश
  • काले प्याज की बढ़ रही मांग
  • पीएम मोदी से मिली खेती की प्रेरणा

Source : News State Bihar Jharkhand

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