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International Yoga Day 2025: ऋषिकेश नहीं इस जगह की है योग नगरी से पुरानी पहचान, अतीत के पन्नों भी है नाम दर्ज

International Yoga Day: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आज हम चर्चा के करेंगे एक ऐसे विश्वविद्यालय जहां से विश्वभर में योग क्रांति फैली थी. ये जगह कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही स्थित है.

International Yoga Day: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आज हम चर्चा के करेंगे एक ऐसे विश्वविद्यालय जहां से विश्वभर में योग क्रांति फैली थी. ये जगह कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही स्थित है.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar School of Yoga

Bihar School of Yoga Photograph: (social)

Munger: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर बिहार का मुंगेर जिला एक बार फिर चर्चा में है. इसे 'योग नगरी' कहा जाता है और इसका कारण है यहां स्थित बिहार स्कूल ऑफ योग, जिसे दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय माना जाता है. इसकी स्थापना 1964 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने गंगा तट पर की थी. यहां दुनियाभर से साधक योग सीखने आते हैं.

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कई दिग्गज कर चुकें हैं योगाभ्यास

अतीत के पन्ने पलटे जाएं तो यहां कई दिग्गज हस्तियां योगाभ्यास कर चुकी हैं. इनमें न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, भारत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई जैसे प्रमुख नाम शामल हैं.

बता दें कि कभी वीरान पहाड़ी और असामाजिक गतिविधियों का अड्डा रहे इस स्थान को स्वामी सत्यानंद ने अपने गुरु स्वामी शिवानंद की प्रेरणा से 1963 में शिवानंद योगाश्रम बनाकर एक आध्यात्मिक केंद्र में बदल दिया. इसके एक साल बाद ही इसे पूरी तरह योग आश्रम का रूप दिया गया.

1983 में विश्व स्तर पर मिली थी ख्याति

1983 में गंगा दर्शन परिसर की स्थापना के साथ यह केंद्र विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हुआ. आज यहां से 40 से अधिक देशों में योग का ज्ञान फैल रहा है. यह स्थान कोई साधारण मठ-मंदिर नहीं, बल्कि एक आधुनिक गुरुकुल है, जहां एक महीने के योग कोर्स से लेकर डॉक्टरेट तक की शिक्षा दी जाती है. कभी यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त इस आश्रम ने स्वतंत्र व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकारी संबंधों से खुद को अलग कर लिया.

1500 से अधिक शिक्षक ले चुके हैं प्रशिक्षण

यहां के सख्त नियम इस आश्रम की खास पहचान हैं. सुबह 4 बजे उठकर साधना, फिर दिनभर का निर्धारित योग अभ्यास और रात 8 बजे परिसर का बंद होना, इस तरह की यह अनुशासित दिनचर्या यहां आने वालों को आत्मिक शांति की ओर ले जाती है. अब तक करीब 25 हजार से ज्यादा योग साधक और 1500 से अधिक शिक्षक यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर दुनियाभर में योग का प्रचार कर रहे हैं. फ्रांस जैसे देशों की शिक्षा प्रणाली में भी मुंगेर योग कोर्स को अपनाया जा चुका है.

अब तक तीन विश्व योग सम्मेलन हो चुके हैं आयोजित

1973, 1993 और 2013 में यहां तीन विश्व योग सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं. यह परंपरा आज भी जारी है. मुंगेर आश्रम आज भी शांत, सरल वातावरण में योग के सच्चे स्वरूप को संरक्षित किए हुए है. योग दिवस के अवसर पर गंगा दर्शन आश्रम गुलजार है, जहां देश-विदेश से आए साधक एक ही लय में योगाभ्यास कर रहे हैं. यही वह साधना स्थल है, जिसने बिहार को योग की वैश्विक राजधानी बना दिया है.

यह भी पढ़ें: International Yoga Day 2025: महादेव ने ही सबसे पहले दिया था योग का ज्ञान, सालों पुराना है इसका इतिहास

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