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OBC सर्वे के नाम पर अधूरा सर्वे हो रहा है: सुशील मोदी

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एक बार फिर से महागठबंधन सरकार पर करारा हमला बोला है.

Updated on: 30 Nov 2022, 10:33 PM

highlights

. सुशील मोदी ने नीतीश-तेजस्वी पर बोला हमला

. ओबीसी का फर्जी सर्वे कराने का लगाया आरोप

Patna:

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एक बार फिर से महागठबंधन सरकार पर करारा हमला बोला है. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि नगर निकाय चुनाव में राजनैतिक पिछड़ेपन की पहचान हेतु सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट हेतु एक Dedicated Independent Commission  बना बनाया जाना था लेकिन परंतु नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आयोग को ही Dedicated Commission अधिसूचित कर दिया, इसमें अध्यक्ष सहित सभी सदस्य जेडीयू-आरजेडी के वरिष्ठ नेता थे. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव नगर विकास मंत्री हैं परंतु उन्हें अति पिछड़ों एवं विभाग से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है.

 

सुशील मोदी ने आगे कहा कि बीजेपी यह मांग कर रही थी कि किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमीशन गठित किया जाए ताकि वह निष्पक्ष पारदर्शी बिना भेदभाव के काम कर सकें. जेडीयू-आरजेडी समर्थित आयोग द्वारा जल्दबाजी में रिपोर्ट दाखिल करने के चक्कर में संपूर्ण निकाय क्षेत्र का सर्वे करने के बजाय नगर निगम में 7, नगर परिषद में 5 एवं नगर पंचायत में मात्र 3 वार्ड में ही सर्वे का निर्णय लिया. 

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सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि पटना नगर निगम में 75 वार्ड है परंतु मात्र 7 वार्ड और वह भी मात्र 21 प्रगणक द्वारा कराया जा रहा है. कमीशन को सभी ओबीसी का सर्वे कर उसमें राजनैतिक पिछड़ापन के आधार पर रिपोर्ट देनी थी,आधार पर रिपोर्ट देनी थी परंतु केवल ईबीसी का ही वह भी आधा अधूरा सर्वे कराया जा रहा था. बनाया गया आयोग ना तो पारदर्शी था और ना ही निष्पक्ष था. इन्हीं सब कारणों से न्यायाधीश सूर्यकांत और जे.जे. महेश्वरी की खंडपीठ ने ईबीसी कमीशन को Dedicated Commission के रूप में अधिसूचित करने पर 28 नवंबर को रोक लगा दी.

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सुशील मोदी ने आगे कहा कि संविधान की धारा 243 (U) में निकाय की पहली बैठक से 5 वर्ष की अवधि तक ही निकाय का कार्यकाल होगा. निकाय का चुनाव अवधि पूरे होने के पूर्व या भंग होने के 6 माह के भीतर कराए जाने का संवैधानिक प्रावधान है परंतु बिहार में बड़ी संख्या में निकायों का चुनाव एक-डेढ़ वर्ष से लंबित है.