आपने पेड़ों पर तो पक्षीयों को अपना आशियाना बनाते हुए देखा होगा, लेकिन भागलपुर में एक ऐसा भी गांव है. जहां के लोग पेड़ों पर रहते हैं. इनका आशियाना पेड़ ही है और ये उनकी मर्जी नहीं बल्कि मजबूरी है. ये मामला जिले के सबौर प्रखंड के शनतनगर बगडेर बगीचे की है. यहां का एक बगीचा बहुत ही प्रसिद्ध है, लेकिन यह बगीचा चिड़ियों की घोसलों के लिए नहीं बल्कि लोगों के आशियाना के लिए जाना जाता है. यहां नजर उठाते ही पेड़ों पर आपको लोग नजर आएंगे.
हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है इलाका
दरअसल ये पूरा इलाका हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है. इसके साथ ही हमेशा कटाव भी होते रहता है. ऐसे में सभी लोग बाढ़ आते ही अपना आशियाना खोजने में लग जाते हैं. एक समय में ये एक बहुत बड़ा गांव हुआ करता था, लेकिन कटाव के कारण धीरे धीरे ये गंगा नदी में समाते चला गया. लोगों ने बताया कि ये इलाका बहुत निचला है इसलिए बाढ़ के समय में ये पूरी तरह से डूब जाता है. ऐसा में लोगों का जीना मुहाल हो जाता है. ना तो उनके पास पीने का पानी होता है ना खाने की व्यवस्था ऐसे में ये लोग हर साल बाढ़ आने पर कैसे अपना जीवन यापन करते हैं ये सोचने वाली बात है.
50 वर्षों से ऐसे ही रह रहे लोग
करीब 50 वर्षों से ये लोग ऐसे में अपनी जिंदगी जी रहे हैं. हर साल इलाके में पानी आ जाने के बाद ये आपने आशियाना पेड़ों पर बना लेते हैं. लोगों का कहना है कि अगर सरकार हमें जमीन दे दें तो हम भी अपना घर किसी तरह बना लेंगे तो हमें अपने बच्चों को लेकर हर साल पेड़ों पर रहने के लिए नहीं जाना पड़ेगा. वहीं, लोगों ने कहा कि अब तो पेड़ भी नहीं बचे हैं तो अब हम कहा जाएंगे.
नाव तक की नहीं है व्यवस्था
बाढ़ का समय आते ही अब लोग मजबूरन 13 फिट ऊंची माकन बनाने में लगे हुए हैं. लोग अपने सामानों को सुरक्षित जगह पर ले जा रहे हैं. इस मामले में गांव की महिला ने बताया कि सरकार की तरफ से हमारी कोई मदद नहीं की जाती है. नाव की व्यवस्था तक नहीं होती है. ऐसे में हम सब चदरा का नाव खुद ही बनाते हैं और उसी से आते जाते हैं. अगर कोई बीमार पड़ जाए तो चदरे की नाव से ही उसे ले जाना पड़ता है.
HIGHLIGHTS
- हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है इलाका
- 50 वर्षों से ऐसे ही रह रहे लोग
- लोगों का जीना हो जाता है मुहाल
- नाव तक की नहीं है व्यवस्था
Source : News State Bihar Jharkhand