Vote Adhikar Yatra: बिहार की सियासत में रविवार का दिन बेहद अहम रहा. एक ओर सासाराम से कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपनी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की, तो दूसरी ओर दिल्ली में चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार किया. चुनाव आयोग ने न सिर्फ राहुल के सवालों का जवाब दिया बल्कि उन पर जनता को गुमराह करने और लोकतंत्र का अपमान करने तक का आरोप लगाया.
यहां से शुरू हुई पूरी कहानी
दरअसल, 7 अगस्त को राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए थे. उन्होंने दावा किया था कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है और 'वोट चोरीट हो रही है. कर्नाटक की मतदाता सूची का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि लाखों संदिग्ध वोटर मौजूद हैं, जिससे बीजेपी को फायदा पहुंचता है. राहुल का तर्क था कि लंबे समय तक चलने वाली चुनाव प्रक्रिया और तकनीकी खामियों की वजह से धांधली की गुंजाइश बढ़ जाती है.
फिर आई आयोग की तीखी प्रतिक्रिया
इन्हीं आरोपों पर रविवार को आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया दी. आयोग ने कहा कि यदि मतदाता सूची में कोई त्रुटि हो तो कानून के अनुसार समय रहते आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है और चुनाव परिणाम के 45 दिनों के भीतर अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है. आयोग ने आरोप लगाया कि बिना प्रक्रिया अपनाए 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना देश के संविधान और मतदाताओं का अपमान है. आयोग ने दो टूक कहा कि वह गरीब-अमीर, महिला-पुरुष या किसी भी वर्ग-धर्म के मतदाता के साथ बराबरी से खड़ा है और निष्पक्षता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता.
स्पष्ट है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक एजेंडा बनने जा रहा है. राहुल गांधी की यात्रा विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश है, जबकि चुनाव आयोग अपनी साख बचाने में जुटा है. आने वाले दिनों में यह टकराव और भी तीखा हो सकता है, और इसके नतीजे सीधे-सीधे बिहार ही नहीं बल्कि देश की राजनीति को प्रभावित करेंगे.
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