SC On Bihar SIR: बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन और दो-दो वोटर कार्ड के विवाद ने अब सियासत को पूरी तरह गरमा दिया है. मृतकों के नाम लिस्ट में होने और लाखों मतदाताओं के नाम काटे जाने के आरोपों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने निर्देश दिया कि जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं हैं, उनके नाम और नाम काटने का कारण 48 घंटे के भीतर संबंधित जिले की निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए. साथ ही चुनाव आयोग से तीन दिनों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की रिपोर्ट मांगी गई है.
ऐसे गहराया विवाद
यह विवाद तब और गहराया जब आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एनडीए नेताओं पर वोटर कार्ड घोटाले का आरोप लगाया. तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि वैशाली से एनडीए सांसद वीणा देवी के दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर कार्ड हैं और दोनों कार्ड में उनकी उम्र भी अलग-अलग दर्ज है. उन्होंने जेडीयू एमएलसी दिनेश सिंह पर भी ऐसे ही आरोप लगाए. तेजस्वी का कहना है कि जब बड़े नेताओं के नाम दो-दो वोटर लिस्ट में हैं, तो आम गरीब मतदाताओं के नाम काटे जाने के मामले कितने बड़े पैमाने पर होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
वीणा देवी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए सफाई दी कि उनका स्थायी निवास साहिबगंज विधानसभा के पारू ब्लॉक में है और वे 2001 से वहीं से चुनाव लड़ती आ रही हैं. उनका कहना है कि मुजफ्फरपुर की लिस्ट में उनका नाम कैसे आया, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.
विपक्ष ने बनाया बड़ा हथियार
विपक्ष ने इस मुद्दे को बड़ा चुनावी हथियार बना लिया है. तेजस्वी यादव लगातार इसे लेकर मोर्चा खोले हुए हैं और अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस अभियान में जुड़ने वाले हैं. राहुल 17 अगस्त से ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत करेंगे. उनका कहना है कि 'वन मैन, वन वोट' के सिद्धांत और संविधान की रक्षा के लिए यह यात्रा चलाई जाएगी और बिहार में वोट चोरी को रोका जाएगा.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और विपक्ष के आक्रामक तेवरों के बीच चुनाव आयोग पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ गया है. फिलहाल, बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा यही बन गया है और इसके असर से विधानसभा व लोकसभा चुनावी समीकरण पर भी गहरा असर पड़ सकता है.
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