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गंगा जमुनी तहजीब: यहां 200 वर्षों से हिन्दू ब्राह्मण लेते रहे हैं ताजिया की सलामी

200 वर्ष पहले ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखनेवाले चेत पांडे के द्वारा इस परंपरा की शुरुआत की गई थे. इस बार चेत पांडे के वंशज सोनू पांडे ने ताजिए की सलामी ली. सोनू पांडे को इस्लाम धर्मावलंबियों के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया

Updated on: 30 Jul 2023, 10:20 PM

highlights

  • रोहतास के करगहर में मोहर्रम में दिखता है गंगा जमुनी तहजीब
  • यहां हिंदू ब्राम्हण लेता है ताजिये की सलामी
  • बीते 200 वर्षों से चली आ रही है ये परंपरा
  • प्रेम-सद्भाव से यहां दोनों पक्षों के त्यौहार मनाए जाते हैं

Rohtas:

एक तरफ मोहर्रम के अवसर पर अताताइयों द्वारा ताजिए पर हमला किया जाता है, आपसी भाईचारा बिगाड़ने की पूरी कोशिश की जाती है तो दूसरी तरफ रोहतास जिले के करगहर में मुहर्रम पर्व पर दोनों समुदायों के बीच अद्भुत परंपरा बीते दो वर्षों से चली आ रही है. ये परंपरा है ताजिए की सलामी लेने की. यहां बीते 200 वर्षों से हिंदू ब्राम्हण के द्वारा ताजिए की सलामी ली जाती है. इस बार ताजिए की सलामी हिंदू ब्राम्हण सोनू पांडे के द्वारा ली गई.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, ये परंपरा 200 साल से ऐसी ही चली आ रही है. हिंदू ब्राह्मण पहले ताजिए की सलामी लेता है और उसे सम्मानित किया जाता और उसके बाद पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बताया जाता है कि 200 वर्ष पहले ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखनेवाले चेत पांडे के द्वारा इस परंपरा की शुरुआत की गई थे. इस बार चेत पांडे के वंशज सोनू पांडे ने ताजिए की सलामी ली. सोनू पांडे को इस्लाम धर्मावलंबियों के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया.

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इतना ही नहीं लोगों ने करगहर थानाध्यक्ष को भी पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया. इतना ही नहीं त्यौहार कोई भी यहां दोनों समुदाय के लोग मिलकर खुशियां बांटते हैं. बीते 200 साल से यहां के लोग गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा रखे हुए हैंय 

15 वर्षों से सलामी ले रहे हैं सोनू पांडे

सामाजिक कार्यकर्ता सोनू पांडे बीते 15 वर्षों से ताजिए की सलामी ले रहे हैं. मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है। सोनू पांडे भी मुस्लिमों के हर त्यौहार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और उनसे जो भी हो पाता है मदद भी करते हैं. मौहर्रम के दिन ताजिए की सलामी लेने के बाद सोनू पांडे ने कहा कि यहां 200 वर्षों से ये परंपरा चली आ रही है. कोई भी त्यौहार को दोनों पक्षों के लोग मिलजुलकर मनाते हैं.