Bihar News: छठ महापर्व में घर जाना लोगों के लिए जंग जीतने से कम नहीं, हर साल की यही कहानी

सबसे पहले तो टिकट नहीं मिलती, मिल भी गई तो प्लेटफॉर्म पर भीड़ इतनी की पैर रखने की जगह नहीं, स्टेशन पहुंच भी गए तो ट्रेन में चढ़ना पहाड़ पर चढ़ने से भी अधिक मुश्किल होता है.

News State Bihar Jharkhand | Edited By : Rashmi Rani | Updated on: 17 Nov 2023, 05:39:53 PM
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लोगों की भीड़ (Photo Credit: फाइल फोटो )

highlights

  • बिहारी प्रवासियों के लिए घर आना किसी जंग जीतने से कम नहीं 
  • भेड़ बकरियों की तरह ट्रेन से लदकर आ रहे लोग
  • घर आने वाले हर प्रवासी की एक जैसी ही कहानी 

Patna:  

नहाय खाय के साथ लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत हो गई है, लेकिन महापर्व में घर आने वाले प्रवासी लोगों की मुश्किलें हर साल जैसी ही दिख रही है. केंद्र सरकार महापर्व के लिए हर साल दावे तो तमाम करती है, लेकिन जमीन हकीकत नहीं बदलती. पर्व में बिहारी प्रवासियों के लिए घर आना किसी जंग जीतने से कम नहीं है. ट्रेन की बोगी में भेड़-बकरियों की तरह ठूस कर घर आना बिहार के लोगों की किस्मत बन गई है. हर साल ऐसी ही तस्वीरें स्टेशन से लेकर ट्रेन की बोगी तक में मिलती है. सीट मिलना तो दूर लोग ट्रेन में बोगी के गेट पर और यहां तक की बाथरूम के गेट पर बैठकर घर आने को मजबूर होते हैं.

व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं 

छठ पर घर आने वाले हर प्रवासी की एक जैसी ही कहानी है. सबसे पहले तो टिकट नहीं मिलती, मिल भी गई तो प्लेटफॉर्म पर भीड़ इतनी की पैर रखने की जगह नहीं, स्टेशन पहुंच भी गए तो ट्रेन में चढ़ना पहाड़ पर चढ़ने से भी अधिक मुश्किल होता है, तमाम मुश्किलों के बाद जिसको सीट मिल गई. वो खुद को खुशकिस्मत समझ रहा है, लेकिन एक बार अगर ट्रेन में चढ़ गए तो खाना-पीना और बाथरूम जाना तो भूल ही जाइए. रेलवे पैसे तो वसूल लेता है, लेकिन व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है. 

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भेड़ बकरियों की तरह ट्रेन से लदकर आ रहे लोग

दिक्कतें बहुत है, लेकिन छठ में घर तो जाना है, लिहाजा लोग हर गम भुलाकर तमाम कष्ट सहकर भी दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, सूरत और कोलकाता जैसे शहरों से बिहार आ रहे हैं. लोग भेड़ बकरियों की तरह ट्रेन से लदकर आ रहे हैं. रेल मंत्रालय तमाम स्पेशल ट्रेन चलाने का दावा करता है, लेकिन ट्रेन में टिकट और जगह मिल जाए इसकी भी कोई गारंटी नहीं है. ट्रेन आ गई तो टिकट और सामान लेकर बोगी में घुसने के लिए जद्दोजहद है. ट्रेन में चढ़ पाएंगे या नहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं है. कितने यात्री तो ऐसे हैं जो टिकट होनें के बावजूद ट्रेन में नहीं चढ़ पाते. ट्रेन में जितनी सीट है उससे कई गुना पैसेंजर. बोगी के गेट से लेकर खिड़की तक और यहां तक की टॉयलेट भी पूरी तरह खचाखच भरे हुए हैं. छठ के त्योहार पर ये मारामारी हर साल दिखती है, लेकिन बिहार की जनता की किस्मत नहीं बदलती है.

First Published : 17 Nov 2023, 02:35:17 PM