Gaya tilkut: गया शहर का रमना रोड तिलकुट के लिए प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति के अवसर पर दही चूड़ा के साथ तिल और तिल से बनी मिठाई खाने की परंपरा रही है. तिलकुट भारत के कई राज्यों में बनाई जाती है, लेकिन गया का तिलकुट का स्वाद ही कुछ और है. अपने इसी सोंधी और खस्ता होने के कारण देश के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति को लेकर अभी गया शहर के रमना रोड, कोयरीबारी, टिकारी रोड सहित कई इलाकों में तिलकुट का कारोबार परवान पर है. मकर संक्रांति में तिलकुट की इतनी मांग होती है कि इस खपत को पूरा करने के लिए नवंबर महीने से तिलकुट कारोबारी जुट जाते हैं. इस दौरान अभी करीब 5 हजार कारीगर तिलकुट निर्माण में लगे हैं. मकर संक्रांति के बाद तिलकुट कारोबार से जुड़े 5000 कारीगर वापस अपने दूसरे कार्यों में लग जाते हैं, चूंकि तिलकुट की जितनी मांग दिसंबर से लेकर फरवरी महीने तक होती है, उसके बाद नहीं होती.
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गया की तिलकुट की अपनी अलग पहचान
गया जिला तिलकुट उत्पादन व विक्रेता संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि गया की तिलकुट की खासियत है कि यह काफी खास्ता होता है. गया जिले का पानी और यहां का जलवायु कहीं और नहीं मिलता. इस कारण यहां की तिलकुट प्रसिद्ध है. हालांकि कई कारीगरों को दूसरे व्यवसाई लेकर दूसरे प्रदेशों में गए हैं, लेकिन वहां भी यही कारीगर जाकर गया जैसा सोंधी और खास्ता तिलकुट नहीं बना सका क्योंकि अभी गया जैसा जलवायु दूसरे अन्य प्रदेशों में नहीं मिल पाता है.
बता दें कि जिनके रिश्तेदार विदेशो में रहते हैं, वे मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट को गिफ्ट के रूप में डाक विभाग के द्वारा पार्सल से भेजते हैं. जीआई टैग के लिए वर्ष 2019 से गया जी तिलकुट उद्योग संघर्ष कर रही है. इसके बाबजूद अभी जीआई टैग नहीं मिल सका है. अगर जीआई टैग मिला तो बिहार झारखंड व अन्य प्रदेशों में जो गया जी का तिलकुट बताकर बिक्री की जाती है, वह बंद हो जायेगा और गया के तिलकुट को एक राष्ट्रीय पहचान मिल सकेगा.
HIGHLIGHTS
- गया के तिलकुट की अपनी अलग पहचान
- देश ही नहीं विदेशों में भी पसंद की जाती है
- मकर संक्रांति को लेकर कारीगर हैं तैयार
Source : News State Bihar Jharkhand