आर्थिक तंगी से जूझ रही राज्य का नाम रोशन करने वाली बेटी, सरकार से लगाई गुहार
अगर आपमें टैलेंट हैं और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का जुनून भी है तो आपके सपने को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसे ही प्रतिभा से सजी हुई बिहार की बेटी आज हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है.
highlights
- उधार के जूतों से नीलू ने खेला मैच
- बिहार का नाम राष्ट्रीय स्तर पर कर चुकी हैं रोशन
- आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं नीलू
Muzaffarpur:
अगर आपमें टैलेंट हैं और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का जुनून भी है तो आपके सपने को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता. वहीं, कई बार लोग आर्थिक तंगी तो कई अन्य वजहों से अपने सपने को भुला देते हैं या तो उसे देखना ही बंद कर देते हैं तो हमारे बीच कई ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं, जिसने हर मुश्किलों को पार कर बड़ा मुकाम हासिल किया और ना सिर्फ देश बल्कि राज्य का नाम भी रोशन किया. ऐसे ही प्रतिभा से सजी हुई बिहार की बेटी आज हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. बिहार राज्य में यूं तो प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और कुछ कुछ कर गुजरने का हौसला हो, तो कोई भी बाधा राह में रोड़े नहीं करती. हालांकि, अगर शासन की अनदेखी हो तो बनी हुई प्रतिभा भी खत्म होती जाती है.
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राज्य का नाम रोशन कर चुकी बेटी आर्थिक तंगी से परेशान
कुछ ऐसी ही कहानी है, मुजफ्फरपुर के सरैया इब्राहिमपुर की रहने वाली नीलू की, जिसने इतने मैडल जीते कि उससे उसका पूरा घर भरा हुआ है. वहीं, प्रशासन की इस तरह की प्रतिभा को नजरअंदाज करने से नीलू आज आर्थिक संकट से जूझ रही है. इब्राहिमपुर गांव की रहने वाली होनहार और बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी, जिसने रग्बी जैसे कठिन खेल को राष्ट्रीय स्तर पर खेल पूरे राज्य का नाम रोशन किया. वहीं, नीलू आर्थिक तंगी और बुनियादी कमी की बदौलत परेशान है और अपनी मंजिल और देश का नाम दुनिया भर में ऊंचा करने को लेकर सरकार से गुहार लगाई है.
खेल का जुनून नीलू में ऐसा था कि रग्बी खेलने के लिए जब उसे जूते चाहिए थे, तो उसने अपनी किताबें बेच दी. जब इससे भी जूते खरीदने के लिए पैसों का जुगार नहीं हुआ तो उधार के जूते लेकर नीलू ने रग्बी का मैच खेला. नीलू ने सरकार से मदद की मांग की है. आपको बता दें कि रग्बी जैसे बेहद कठिन खेल में बिहार का नाम ऊंचा तो कर रही है, लेकिन आथिक तंगी और बुनियादी सुविधाएं जो प्रशिक्षण में कमी होने से बहुत दुखी हो गई है. यही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में ही रहते हुए किसी तरह सरकार से अपनी गुहार लगाई है, जबकि जिला स्तर के साथ-साथ महज 8वीं क्लास से राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.
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