मां थावे वाली के दरबार में आस्था का सैलाब, 2.5 हजार साल पुराना मंदिर का इतिहास
गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर मां थावेवाली का प्राचीन मंदिर है.
highlights
- ढाई हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास
- भक्त के बुलावे पर कामाख्या से थावे पहुंची थी मां
- मां ने तोड़ा था घमंडी राजा का अहंकार
Gopalganj:
गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर मां थावेवाली का प्राचीन मंदिर है. इन्हें मां थावेवाली, सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो साल भर यहां पर मां के भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है. मान्यता है कि यहां मां अपने भक्त रहषु के बुलावे पर असम के कौड़ी कामाख्या से चलकर थावे पहुंची थीं. कहा जाता है कि मां कामाख्या से चलकर कोलकाता पहुंची, जहां वो काली के रूप में विराजमान हुईं. वहां से पटना पहुंची, जहां मां पटन देवी के नाम से जानी गई. इसके बाद छपरा के आमी होते हुए मां दुर्गा थावे पहुंची. मां थावेवाली मंदिर का इतिहास ढ़ाई हजार साल पुराना है. किवदंतियों के अनुसार यहां मां अपने भक्त रहषु के आई थीं.
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: तेजस्वी ने सीएम नीतीश को लेकर कह दी ये बात, कहा - अच्छे से चल रही हमारी सरकार
मां थावे वाली के दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब
थावे पहुंचते ही रहषु भक्त को भी मुक्ति मिल गई. इसके बाद देवी मां की इसी थावे जंगल में स्थापना कर दी गई और तभी से इस मंदिर में मां की पूजा होने लगी. मां ने जहां दर्शन दिए, वहां एक भव्य मंदिर है और वहां से थोड़ी ही दूरी पर उनके भक्त रहषु का मंदिर भी है. जहां बाघ के गले में सांप की रस्सी बंधी हुई है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं, वो रहषु भगत के मंदिर में भी जरूर जाते हैं, नहीं तो उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसी मंदिर के पास राजा मनन सिंह के भवनों का खंडहर भी हुआ करता था, अब उस जगह पर होटल, बच्चों के लिए पार्क और तालाब का निर्माण कराया गया है.
ढाई हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास
थावे वाली माता के दर्शन के लिए बिहार के अलावा देश के कई राज्यों से जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बंगाल, झारखंड समेत विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. थावे मां का प्रमुख प्रसाद गुजिया है, जो भी श्रद्धालु यहां आते हैं, दर्शन करने के बाद प्रमुख मिठाई गुजिया जरूर खाते हैं और यहां से इस प्रसिद्ध मिठाई लेकर घर भी ले जाते हैं. यहां पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, नवरात्र के दौरान यहां पर कंट्रोल रूम की स्थापना की जाती है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs LSG : हेड-अभिषेक का तूफान, हैदराबाद ने 9.4 ओवर में चेज किया 166 का लक्ष्य, लखनऊ को 10 विकेट से रौंदा
-
SRH vs LSG Dream11 Prediction: हैदराबाद और लखनऊ के मैच में ये हो सकती है बेस्ट ड्रीम11 टीम, इसे चुनें कप्तान
-
DC vs RR : कुलदीप-मुकेश कुमार की घातक गेंदबाजी, दिल्ली ने राजस्थान को 20 रनों से हराया
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Guruwar Ke Upay: गुरुवार के दिन करें ये उपाय, बड़ी से बड़ी समस्या होगी दूर
-
Lord Vishnu Puja: गुरुवार को इस तरह तरह करें विष्णु देव की पूजा, नौकरी में मिलेगी तरक्की
-
Aaj Ka Panchang 9 May 2024: क्या है 9 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Jagannath Puri Rath Yatra 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होता है पुरी में रथ निर्माण का कार्य, ये है पौराणिक इतिहास