बिहार विधानसभा में जमकर हंगामा( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए साढ़े 6 साल का वक्त हो गया, मगर जहरीली शराब से मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा. छपरा में 18 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई. मौत के बाद बिहार विधानसभा के चल रहे सत्र में सदन के अंदर और बाहर जोरदार हंगामा हुआ. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपा खोते दिखे और विपक्ष मुख्यमंत्री पर हमलावर. तमाम कोशिशों के बाद भी बिहार में जहरीली शराब से मौत का मामला थम नहीं रहा है. एक बार फिर सारण जिला में एक-दो नहीं बल्कि 18 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई है. छपरा के इसुआपुर और मशरख थाना इलाके में ज्यादातर लोगों की मौत हुई है. ग्रामीणों ने बताया कि मौत शराब पीने से हुई है, स्थानीय लोग गांव स्तर पर चौकीदार और प्रशासन को दोषी मान रहे हैं. इतने बड़े पैमाने पर शराब बिकने के बाद भी चौकीदार ने इसकी सूचना नहीं दी.
बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है. वहीं, जब यहां तक जहरीली शराब से मौत की खबर पहुंची तो मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने जमकर हंगामा मचाया. भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री रामसूरत राय ने न्यूज स्टेट बिहार झारखंड के संवाददाता से बातचीत करते हुए कानून के समीक्षा की मांग की कि शराब की बिक्री की छूट मिले और जो बिहार में जहरीली शराब की वजह से लोगों की मौत हो रही है, उस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की.
जहरीली शराब से मौत मामले में बीजेपी ने विधानसभा के मुख्य द्वार पर जबरदस्त प्रदर्शन किया. शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग शुरू हुई, हंगामा सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह देखने को मिल रहा.
सदन के अंदर से जो तस्वीर सामने आई, उसने सभी को हैरत में डाल दिया. जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक वेल में आकर छपरा की घटना पर सरकार से सफाई मांग रहे थे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपा खोते दिखें. मुख्यमंत्री का रोष देख बीजेपी भी तिलमिला गई. सदन स्थगित होते तमाम विधायक विधानसभा परिसर में आकर हंगामा करने लगे. उन्होंने मुख्यमंत्री पर धमकी देने का आरोप लगाया.
मगर सरकार मानने को तैयार नहीं कि बिहार में शराबबंदी कानून फेल है. बिहार के मद्ध निषेध व उत्पाद विभाग के मंत्री बार-बार यही कह रहे हैं कि कानून बनाए जाते हैं, उन्हें तोड़ने वाले भी होते हैं. मगर उन पर कार्रवाई होती है. 100 साल पहले भी कानून बने, उन्हें तोड़ा जाता रहा, मगर कार्रवाई हुई. बिहार में शराब ना बिके इसके लिए हम कटिबद्ध हैं. सरकार चाहे दलीलें कुछ भी दें, मगर यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रही है. चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं और जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.