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सुपौल में आबकारी विभाग की टीम ने चलाया विशेष महाअभियान, 86 लोग गिरफ्तार

सुपौल में आबकारी विभाग की टीम ने विशेष महाअभियान चलाकर 10 शराब कारोबारी समेत 86 लोगों को गिरफ्तार किया है.

Updated on: 06 Dec 2022, 07:17 PM

highlights

. सुपौल में आबकारी विभाग की टीम ने की छापेमारी

. उत्पाद विभाग की टीम द्वारा चलाया गया विशेष महाअभियान 

Supaul:

सुपौल में आबकारी विभाग की टीम ने विशेष महाअभियान चलाकर 10 शराब कारोबारी समेत 86 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में 5 महिलाएं भी हैं, जो शराब कारोबार में संलिप्त पाई गई हैं जबकि इनमें कुल 76 लोग शराब के नशे में पकड़े गए हैं. शराब के नशे में पकड़े गए लोगों को उपस्थापन के लिए कोर्ट भेज दिया गया है. बता दें कि उत्पाद संसोधन अधिनियम के तहत शराब के नशे में पहली बार गिरफ्तार होने वाले लोगों को प्रावधान के मुताबिक जुर्माना की राशि यानी चालान कटाने पर कोर्ट से ही छोड़ दिया जाता है, जबकि दूसरी बार शराब के नशे में गिरफ्तार होने पर कोर्ट से न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता है. वहीं पूर्ण शराबबंदी को लेकर इस बड़ी कार्रवाई को लेकर सुपौल के उत्पाद अधीक्षक लाला अजय कुमार सुमन ने मंगलवार की शाम में बताया कि बिहार अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर जिले में उत्पाद विभाग की टीम द्वारा विशेष महाअभियान चलाया गया.

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वहीं गिरफ्तार किए गए 86 लोगों को सुपौल शहर के उत्पाद विभाग के बैरक में खड़े होकर शराब का आजीवन धंधा नहीं करने और शराब सेवन नहीं करने की शपथ दिलवाई गई. बताया जा रहा है कि सुपौल अनुमंडल अंतर्गत क्षेत्र सहित आसपास के इलाकों से 37 लेगों को गिरफ्तार किया गया. त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र से 18 लोगों की गिरफ्तारी की गई. इधर वीरपुर अनुमंडल क्षेत्र से 31 लोगों की गिरफ्तारी की गई. छापेमारी दल में सुपौल उत्पाद विभाग की टीम के अलावा सहरसा और मधेपुरा जिले के भी उत्पाद विभाग के वरीय अधिकारी और जवान शामिल थे.

इस दौरान उत्पाद विभाग के अलग-अलग टीम में शामिल 50-50 लोगों ने जिले के विभिन्न इलाकों में छापेमारी की. छापेमारी में कुल 5 लीटर देसी शराब जब्त किया गया. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार लोगों में 3 वीआईपी लोग भी शामिल हैं, जो पकड़े जाने के बाद ब्रेथ एनलाइ्रजर से जांच में शराब के नशे में पाए गए. इसमें एक वार्ड सदस्य, एक सरकारी स्कूल के शिक्षक, एक व्यवसायी भी शामिल हैं. सभी के विरूद्ध बिहार मद्य निषेध अधिनियम 2016 संशोधित/2018 के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय भेज दिया गया है.