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बिहार में शिक्षा व्यवस्था बदहाल, बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे!

बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लाख दावे क्यों ना कर ले, जमीनी सच्चाई इन दावों से हमेशा अलग ही होती है.

Updated on: 15 Oct 2023, 04:16 PM

highlights

  • बिहार में शिक्षा व्यवस्था बदहाल
  • शिक्षा सुधारों के तमाम दावे फेल!
  • बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे

 

 

Purnia:

बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लाख दावे क्यों ना कर ले, जमीनी सच्चाई इन दावों से हमेशा अलग ही होती है. कहीं स्कूल नहीं, तो कहीं शिक्षकों की कमी. पूर्णिया में भी स्कूल की हालत कुछ ऐसी ही है, जहां स्कूल तो है, छात्र भी हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है. बिहार सरकार और शिक्षा विभाग ने करीब 4 साल पहले ही जिले के धमदाहा प्रखंड के 22 मध्य विद्यालयों को उच्च विद्यालय में तब्दील कर दिया था. कई स्कूलों के लिए ऊंचे-ऊंचे भवन भी बनाए गये. छात्रों की संख्या में पर्याप्त है, लेकिन शिक्षक ना होने से यहां छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे हो रही है. शिक्षक ना होने के चलते इन स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है. जिले में 22 में से 15 उत्क्रमित उच्च विद्यालय ऐसे हैं, जहां उच्च विद्यालय में पढ़ाने वाले एक भी शिक्षक नहीं है. 

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शिक्षा सुधारों के तमाम दावे फेल!

लिहाजा यहां मध्य और प्राइमरी स्कूल के शिक्षक ही हाई स्कूल के छात्र छात्राओं को पढ़ा रहे हैं. जबकि बाकि बचे 7 उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में किसी में 1 तो किसी किसी में दो शिक्षकों के भरोसे हाई स्कूल के हजारों बच्चों की पढाई हो रही है. स्कूलों में हजारों छात्र नामांकित हैं. बावजूद इसके यहां उच्च विद्यालय के बच्चों के लिए पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है. आकड़ों से साफ है कि इन स्कूलों में छात्रों की कितनी पढ़ाई होती होगी. शिक्षक भी मजबूर हैं. उनके पास हाई स्कूल के छात्रों को पढ़ाने का एक्सपीरिसंय नहीं है और जो एक-दो शिक्षक हाई स्कूल वाले हैं, उनके कंधों पर भी इतने छात्रों की जिम्मेदारी है कि वो भी पढ़ाई ठीक से नहीं करवा पा रहे हैं. 

बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सिर्फ दावे कर दिए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कभी काम नहीं होता. शासन प्रशासन को समझाना चाहिए कि मध्य विद्यालयों को हाई स्कूल बनाने भर से कुछ नहीं होगा. उन स्कूलों में हाई स्कूल जैसी व्यवस्था भी देनी होगी. शिक्षकों की नियुक्ति भी करनी होगी, नहीं तो छात्रों का भविष्य यूं ही अधर में लटका रहेगा.