'कोरोना संकट में केंद्र सरकार ने बिहार के गरीबों को दी 11744 करोड़ रुपए की मदद'

सुशील मोदी ने बताया कि केंद्र ने खाद्यान्न व नगद के रूप में बिहार के गरीबों को 11744 करोड़ की मदद की है.

सुशील मोदी ने बताया कि केंद्र ने खाद्यान्न व नगद के रूप में बिहार के गरीबों को 11744 करोड़ की मदद की है.

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Dalchand Kumar
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'कोरोना संकट में केंद्र सरकार ने बिहार को दी 11744 करोड़ रुपए की मदद'( Photo Credit : फाइल फोटो)

कोरोना संकट के दौरान केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार (Bihar) को 11744 करोड़ रुपए की मदद दी है. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि केंद्र सरकार ने खाद्यान्न व नगद के रूप में बिहार के गरीबों को 11744 करोड़ रुपए की मदद की है, जिनमें 5719 करोड रुपए डीबीटी के जरिए सीधे उनके खाते में और 6024 करोड़ रुपए की खाद्यान्न का वितरण किया गया है. इस दौरान सुशील मोदी (Sushil Modi) ने विपक्षी दलों राजद और कांग्रेस पर भी हमला बोला.

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मोदी ने कहा कि बिहार में किसी सरकार ने 8 करोड़ 71 लाख गरीबों को 3 महीने तक प्रति व्यक्ति पांच-पांच किलो यानी 15 किलो चावल जिसका बाजार मूल्य 28 से 30 रुपए प्रति किलो है और 1.67 करोड़ परिवारों को प्रति परिवार 1-1 किलो दाल, जिसका बाजार मूल्य 120 रुपए प्रति किलो है, का मुक्त में वितरण किया है. वितरित चावल और दाल की कुल कीमत करीब 6024 करोड रुपए है.

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 86 लाख 40 हजार बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों को भी 325 करोड़ का अगले 2 महीने तक प्रति व्यक्ति पांच 5 किलो की दर से 10 किलो अनाज देने का निर्णय लिया है. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों के प्रति परिवार को 2 महीने तक एक 1 किलो यानी दो 2 किलो चना भी दिया जाएगा. सुशील मोदी ने कहा कि गरीबों के एक परिवार में अगर आग से 7 सदस्य हैं तो वे 5 किलो प्रति व्यक्ति की दर से एक 1 किलो बोरा चावल मुक्त में अपने घर ले जा रहे हैं.

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विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राजद कांग्रेस बताएं कि क्या उनके शासनकाल में बाढ़ और सुखाड़ जैसी आपदाओं के समय भी बिहार के पीड़ितों को मदद की जाती थी? क्या लाखों पीड़ितों को बाढ़ खत्म उनके महीनों बाद तक कुछ किलो अनाज के लिए इंतजार करना पड़ता था? सुशील मोदी ने कहा कि गरीबों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने और केंद्र की सरकार को बिना बात कोसते रहने वाले राजद-कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों को अपने गिरेबां में झांक कर एक बार अपना कार्यकाल भी याद करना चाहिए.

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