गया में खास है 'पंखा गली', 200 सालों से लोगों को मिल रहा रोजगार

गर्मी आते ही पंखे की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन बिहार के गया में बिजली के पंखे से ज्यादा हाथ पंखे की मांग बढ़ रही है. गया के मानपुर के पटवाटोली में पंखा गली के नाम से विख्यात है.

गर्मी आते ही पंखे की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन बिहार के गया में बिजली के पंखे से ज्यादा हाथ पंखे की मांग बढ़ रही है. गया के मानपुर के पटवाटोली में पंखा गली के नाम से विख्यात है.

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Vineeta Kumari
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गया में बढ़ रहा हाथ पंखे की डिमांड( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

गर्मी आते ही पंखे की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन बिहार के गया में बिजली के पंखे से ज्यादा हाथ पंखे की मांग बढ़ रही है. गया के मानपुर के पटवाटोली में पंखा गली के नाम से विख्यात है. मानपुर के इस पंखा गली में दर्जनों घर के लोग ताड़ के पत्तों और बांस से बने पंखा बना रहे हैं. बिहार झारखंड सहित कई राज्यों में यहां से बने पंखे की मांग है. दरअसल, गर्मी का सीजन आते ही हाथ पंखे की मांग बढ़ जाती है. यह हाथ वाली पंखे ताड़ के पत्तों से बनाए जाते हैं, जिसकी मांग अभी सबसे ज्यादा है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में और लोअर क्लास के लोगों में सबसे ज्यादा हाथ वाले पंखे की मांग रहती है. गया के मानपुर पटवा टोली में एक गली ऐसी भी है, जिसे लोग पंखा गली के नाम से जानते हैं.

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गया में बढ़ रहा हाथ पंखे की डिमांड

यहां हर घर के लोग हाथ का पंखा बनाने में जुटे हुए हैं. हर घर के बाहर दलान पर घर के सदस्य महिला हो या पुरुष, पंखे को बनाते हुए देखे जा सकते हैं. हालांकि यह पंखा की मांग आने वाले दिनों में वट सावित्री पूजा में भी इस पंखे की मांग काफी ज्यादा हो जाती है, क्योंकि हर सुहागन महिलाएं इसी पंखे से अपने पति को पूजा करते हैं और पंखा से हवा लेते हैं. ऐसे में अभी से ही पंखा बनाने वाले छोटे कारीगर इसे बनाने में जुड़े हुए हैं. 

200 सालों से बना रहे पंखा

महापुर पटवा टोली के पंखा गली में 200 सालों से पंखा बनाने का काम किया जा रहा है. कई पीढ़ियां इस काम को करते आ रही थी. यहां से पंखे की थोक ऑर्डर भी दूसरे राज्यों में जाते हैं. हालांकि पंखा बनाने वाले लोग बताते हैं कि पहले 10 लाख पंखे बनाते थे. अब वह घटकर महज दो से तीन लाख पंखे बनाने का काम होता है, क्योंकि अब बाजारों में इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले पंखे आ गए हैं, लेकिन अभी ज्यादातर घरों में हाथ वाले पंखे की मांग रहती है.

पंखे की कीमत ₹5 से लेकर ₹20 तक

खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पंखे को बनाने के बाद उसमें आकर्षण देखने के लिए रंग-बिरंगे कलर भी लगाए जाते हैं. कारीगर यह भी बताते हैं कि बिजली की वजह से लोग दशकों से हाथ पंखे का इस्तेमाल कम करने लगे हैं, लेकिन जो लोग जानते हैं वह इस पंखे को भी अभी भी खरीदते हैं और संजो व सजा कर भी रखते हैं. हाथ वाले पंखे को बनाने के लिए बांस और ताड़ के पत्तों से भी इसका निर्माण किया जाता है. इस पंखे की कीमत ₹5 से लेकर ₹20 तक है.

HIGHLIGHTS

  • गया में बढ़ रहा हाथ पंखे की डिमांड
  • 200 सालों से बना रहे पंखा
  • पंखे की कीमत ₹5 से लेकर ₹20 तक

Source : News State Bihar Jharkhand

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