बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर सारण जिले के रिविलगंज थाना क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित 'आदित्य राज ढाबा' आज उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए सुकूनस्थली बना हुआ है. ढाबे के संचालक बसंत सिंह ने इस ढाबे को लंगर का रूप दे दिया है जहां आने वाले 500 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को प्रतिदिन खाना और नाश्ता परोसा जा रहा है. मांझी के पास मझनपुरा गांव में ढाबा के मालिक ने लॉकडाउन के बाद इस होटल में खाने वाले लोगों के लिए कैश काउंटर को बंद कर दिया है.
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ढाबा के संचालक सिंह आईएएनएस से कहते हैं कि ऐसा करने से उन्हें आत्मिक संतोष मिलता है. आखिर यही तो मानवता है. इसकी शुरुआत करने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन प्रारंभ होने के बाद उत्तर प्रदेश के रास्ते बड़ी संख्या में मजदूर प्रतिदिन बिहार और झारखंड के लिए आ रहे हैं. इसी क्रम में करीब 17 दिन पहले मजदूरों का एक जत्था पहुंचा और खाना खिलाने का आग्रह किया. उनलोगों के पास पैसे नहीं थे. उनलोगों को खाना खिलाने पर मुझे बहुत संतुष्टि मिली और फिर यह सिलसिला प्रारंभ हो गया.'
वे कहते हैं कि आने वाले मजदूरों को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ रहा है. सिंह ने अपने ढाबे को अब लंगर में तब्दील कर दिया है जहां खाने वालों का कोई पैसा नहीं लगता. वे कहते हैं कि सुबह आने वाले लोगों को चूड़ा और गुड़ दिया जाता है जबकि दोपहर से चावल, दाल और सब्जी खिलाना प्रारंभ होता है जो देर रात तक चलता रहता है. इस स्थान को सैनिटाइज भी किया जा रहा है. उन्होंने आईएएनएस को बताया, 'यहां प्रतिदिन 500 से 700 लोग भोजन कर रहे हैं. गुरुवार को ज्यादा लोग पहुंच गए थे, जिस काराण सब्जी समाप्त भी हो गई थी.'
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बकौल सिंह, 'प्रारंभ में तो कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन अब ग्रामीणें का भी भरपूर सहयोग मिल रहा. गांव वाले ही सब्जी, चावल और दाल दान कर रहे हैं. खाना बनाने वाले कारीगर भी पैसा नहीं लेने की बात कहकर श्रमदान कर रहे हैं.' मोहब्बत परता ग्राम पंचायत के मझनपुरा गांव स्थित ढाबे पर मिले झारखंड के पलामू जिले के चैनपुर के रहने वाले एक मजदूर मोहन कहते हैं कि दिल्ली से आने के क्रम में कई लोगों ने पूड़ी और कचौड़ी खाने को दिए लेकिन यहां चावल (भात) और दाल खाने को मिला. वे कहते हैं कि चावल खाए बहुत दिन हो गए थे.
25 लोगों के साथ अपने गांव लौट रहे मोहन का कहना है, 'सिंह ने उन्हें बुलाया और भोजन कराया जिसके बाद उन्हें काफी सुकून मिला क्योंकि लंबे समय बाद इतना स्वादिष्ट भोजन करने को मिला.' सिंह जाने वाले मजदूरों को कुछ सूखा राशन भी दे देते हैं, जिससे वे आगे इसका उपयोग कर सकें.
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इधर, मोहब्बत परता ग्राम पंचायत की मुखिया के पति और समाजसेवी बुलबुल मिश्रा भी सिंह के इस प्रयास की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि सिंह का यह काम प्रशंसनीय है. आज ये कोरोना योद्घा के रूप में सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि इस लंगर में ग्रामीण भी मदद कर रहे हैं. आज इन मजदूरों को सहयोग की ही जरूरत है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग के कुछ ढाबे (लाइन होटल) को खोलने का आदेश दिए हैं.
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