गोपालगंज में तेजी से हो रहा दउरा और सुपली का निर्माण

छठ पूजा को लेकर बाजार में भी रौनक देखने को मिल रही है. गोपालगंज के बाजारों में बांस से बने दउरा और सुपली की दुकानें सजने लगी हैं. बांस से बने दउरा और सुपली का निर्माण में बांसफोड़ जाति के लोग जुट गए हैं.

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Vineeta Kumari
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महापर्व छठ में बाजारों में सजने लगी दुकानें ( Photo Credit : फाइल फोटो )

बिहार में लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा आने वाला है. महापर्व छठ पूजा में कुछ ही दिन शेष रह गए है, अब ऐसे में छठ पूजा की तैयारी को लेकर लोग जोरों शोरों से लगे है. कोई घाट की साफ- सफाई में लगा है तो कोई पूजा की सामग्रियों को जुटे में लगा है. वहीं, छठ पूजा को लेकर बाजार में भी रौनक देखने को मिल रही है. गोपालगंज के बाजारों में बांस से बने दउरा और सुपली की दुकानें सजने लगी हैं. दरअसल छठ महापर्व के अवसर पर बांस से बने दउरा और सुपली का महत्व काफी बढ़ जाता हैं. दउरा और सुपली बनाने में कारीगर एक महीना पहले से लग जाते है.

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कारीगरों को मेहनत के अनुसार नहीं मिलता मेहनता 

महापर्व छठ पर बांस से बने सामान की मांग बढ़ने के साथ ही बांसफोड़ जाति के लोगों के चेहरे खिल गये है, मांग में तेजी आने से बांस से बने दउरा और सुपली के  निर्माण में भी बांसफोड़ जाति के लोग तेजी ला देते है, ताकि समय पर दउरा और सुपली बेच कर अच्छी आमदनी की जा सके. वहीं, गोपालगंज के बांसफोड़ जाति की महिलाएं छठी मैया की गीत गाते हुए दउरा और सुपली का निर्माण कर रहीं हैं. आपको बता दें कि छठ और शादी विवाह के मौके पर ही दउरी की बिक्री हो पाती है. महंगाई के इस दौर में बांस काफी महंगा हो गया है, लेकिन कारीगरों की लागत और मेहनत जितनी लगती है उस हिसाब से उनकी आमदनी नहीं हो पाती है. कई महीना पहले से पूरा परिवार दउरी और सुपली बनाने में लग जाता है लेकिन आमदनी नहीं होती है. 

छठ पूजा की गीत गाकर दउरा बना रहीं महिलाएं

गोपालगंज के सदर प्रखंड के बसडीला बाजार से छठ पूजा की पारंपरिक गीत गाकर दउरा बना रहीं महिलाओं की तस्वीर सामने आई है. दरअसल छठ महापर्व पर बांस के बने दउरा की विशेष तौर पर मांग रहती है. ऐसे में दउरा के निर्माण कार्य में लगे कारीगर दिन-रात, एक कर तेजी से दउरा बनाने में लगे हैं. वहीं, बांस से बने दउरा और सुपली के निर्माण कार्य में लगी महिला कारीगरों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल बांस की कीमत काफी बढ़ गई है. गोपालगंज के बाजार में बाहर से बांस से बने दउरा और सुपली व्यापारियों के द्वारा लाकर भारी मात्रा में बेचा जा रहा है. बाजार में 100 रुपए में दउरा बिक रहा है, जिससे हाथ से बनाए इन कारीगरों के सामानों को उचित रेट नहीं मिल पा रहा है. जिससे इनकी मुनाफा नहीं हो रही है. महिलाओं का कहना है कि परंपरा का निर्वहन करने के लिए छठ महापर्व पर दउरा और सुपली बनाती हैं, लेकिन मेहनत के हिसाब से पैसा नहीं मिल पाता है. 

HIGHLIGHTS

  • छठ पूजा की गीत गाकर दउरा बना रहीं महिलाएं
  • कारीगरों को मेहनत के अनुसार नहीं मिलता मेहनता 
  • महापर्व को लेकर के बाजारों में सजने लगी दुकानें 
  • दउरा बनाने में जुटी बांसफोड़ जाति की महिलाएं

Source : News State Bihar Jharkhand

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