कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के दौर की सियासत अब अदालती नोटिस तक जा पहुंची है. कांग्रेस नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने मंगलवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को एक कानूनी नोटिस भेजा. उन्हें 15 दिनों के अंदर जवाब देना है. प्रेमचंद्र मिश्रा ने यह नोटिस सुशील मोदी (Sushil Modi) के उस बयान पर भेजा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राजद और कांग्रेस के विधायकों ने राहत कोष में एक पैसा भी नहीं दिया, बल्कि विधायक निधि से 50 लाख रुपये देने का विरोध कर अपनी संवेदनहीनता भी उजागर की है.
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कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने बताया कि कानूनी नोटिस के अलावा पुलिस में शिकायत मेल तथा स्पीड पोस्ट के माध्यम से पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भेजा गया है. उन्होंने कहा, 'जिस प्रकार से मोदी ने झूठा ट्वीट और बयान देकर ये कहा कि कांग्रेस के सांसदों, विधायकों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक पैसा का अंशदान नहीं किया है, यह अपने आप में ओछापन और झूठ की राजनीति की पराकाष्ठा है.'
मिश्रा ने कहा, 'मैंने खुद 30 मार्च को मुख्यमंत्री राहत कोष में अपना एक माह का वेतन अंशदान स्वरूप चेक के द्वारा जमा कराया और ऐक्छिक कोष से 50 लाख रुपये का अंशदान संबंधी अनुशंसा सचिव योजना विभाग को कर दिया और ऐसा कांग्रेस व राजद के अन्य विधायकों ने भी किया है.' उन्होंने कहा, 'मोदी ने मुख्यमंत्री राहत कोष से भी राजनीति करनी नहीं छोड़ी और सफेद झूठ बोलकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने की चेष्टा की. उन्होंने ना तो अपना ट्वीट वापस लिया और ना ही विधायकों से मांफी मांगी.'
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उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि मुख्यमंत्री राहत कोष को लेकर गलतबयानी करने वाले सुशील मोदी पर लगाम लगाएं और उन सभी सांसदों, विधायकों के नाम सार्वजनिक करें, जिन्होंने कोरोना से लड़ने के लिए अपना एक माह का वेतन का अंशदान किया है.
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