Caste census in Bihar: आज से बिहार में जातिगत जनगणना, जानिए इसकी वजह और सियासी गणित
आज से बिहार में जातिगत जनगणना शुरू होने जा रही है. दो चरणों में पूरे बिहार में जातिगत जनगणना होगी. इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है.
highlights
- बिहार में जातिगत जनगणना की शुरुआत
- पटना के वीआईपी ईलाके से की गई शुरुआत
- दो चरणों में पूरी होगी जातिगत जनगणना
- 21 जनवरी तक जातिगत जनगणना का पहला चरण
Patna:
आज से बिहार में जातिगत जनगणना शुरू होने जा रही है. दो चरणों में पूरे बिहार में जातिगत जनगणना होगी. इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. 21 जनवरी तक इसका पहला चरण चलेगा. बिहार में आज से शुरू हो रहे जातीय जनगणना पर बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा कि जो निर्णय कैबिनेट ने जून 2021 में लिया था उसे शुरू करने में इतना वक्त क्यों लगा. इसके साथ ही उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाकर जातीय जनगणना के तरीकों को बताने की मांग की है. उन्होंने पूछा कि बिहार में जातीय गणना किस आधार पर और कैसे की जाएगी इसे सरकार को बताना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि ये सोचने की बात है, कि 1931 के बाद आजाद भारत के किसी सरकार ने जातीय जनगणना की आवश्यकता क्यों नहीं समझी. मोदी सरकार बनने के बाद मानो जैसे जाती फैक्टर धीरे-धीरे कमजोर होने लगा, लोग विकास की बात करने लगे. तब क्षेत्रीय दलों का जातीय आधारित राजनीति खतरे में पड़ गयी, और वो फिर से समाज को आपस मे लड़ाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं.
बिहार में जातिगत जनगणना का पहला दौर आज से शुरू हो रहा है. पहले चरण में आवासीय मकानों पर नंबर डाले जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी 'समाधान यात्रा' के दौरान शिवहर में कहा था कि इस जनगणना के दौरान केवल जातियों की गणना नहीं बल्कि राज्य के हर परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. उससे देश के विकास और समाज के उत्थान में बहुत फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है और सामान्य प्रशासनिक विभाग को जिम्मेदारी दी गई. इसका काम दो चरणों में पूरा होगा. इसको लेकर नीतीश सरकार लंबे समय से मांग कर रही थी.
जातिगत जनगणना क्यों ?
सरकार के पास OBC और दूसरी जातियों का डेटा नहीं.
OBC की सही आबादी का अनुमान लगाना मुश्किल.
1951 से SC और ST जातियों का डेटा होता है पब्लिश.
1990 में वीपी सिंह सरकार ने की थी पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश.
आयोग ने 1931 की जनगणना के आधार पर लगाया था अनुमान.
देश में OBC की 52% आबादी होने का लगाया था अनुमान.
मंडल आयोग की सिफारिश पर ही OBC को मिला 27% आरक्षण.
SC और ST को जाति के आधार पर मिलता है आरक्षण.
OBC के आरक्षण का नहीं है कोई आधार.
जातिगत जनगणना का विरोध क्यों ?
जातिगत जनगणना के समर्थन में नहीं केंद्र सरकार
आपको बता दें कि लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक बयान दिया था
संविधान के मुताबिक, सिर्फ SC-ST की ही हो सकती है जनगणना
जातिगत जनगणना होने से देश में 1990 जैसे हालात बन सकते हैं
फिर से मंडल आयोग जैसे आयोग को हो सकती है गठन की मांग
इसके बाद संभावना है कि आरक्षण की व्यवस्था में भी फेरबदल हो
आबादी बढ़ने के साथ ही ज्यादा आरक्षण देने की मांग भी उठ सकती है
OBC कोटे में बदलाव की मांग बीजेपी के लिए बन सकती है मुसीबत
क्या है सियासी गणित ?
मंडल आयोग के बाद कई क्षेत्रीय पार्टियों का हुआ उदय
OBC के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है बिहार की राजनीति
सभी पार्टियां OBC को ध्यान में रखकर कर रही अपनी सियासत
सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से हो रही मांग
केंद्र में बीजेपी कर रही है विरोध, बिहार में समर्थन में है खड़ी.
यह भी पढ़ें: 'समाधान यात्रा' में व्यवधान! सीतामढ़ी में लोगों ने जलाए CM नीतीश के पोस्टर
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