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मोदी कैबिनेट में 'पारस' चमका तो 'रामभक्त' को लगेगा बड़ा झटका

राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि पशुपति पारस का नाम मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर लगभग तय हो चुका है.

Updated on: 07 Jul 2021, 03:11 PM

highlights

  • कैबिनेट विस्तार में पशुपति पारस की अटकलें तेज
  • चिराग पासवान लड़ रहे हैं पारस से विरासत की जंग
  • पीएम मोदी को राम बता खुद को कहते आए हनुमान

पटना:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आज होने जा रहे कैबिनेट विस्तार में तमाम नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. केंद्रीय कैबिनेट में जिन नए चेहरों को जगह मिलेगी, उसमें कई नामों की चर्चा है और कुछ के नाम तो लगभग तय भी हो चुके हैं. इन नए चेहरों में सबकी नजर उस शख्स पर होगी, जो अभी पार्टी की कमान को लेकर सुर्खियों में छाया हुआ है. यह है लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के पशुपति कुमार पारस, जो अभी चिराग के साथ सियासी विरासत की जंग लड़ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि पशुपति पारस का नाम मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर लगभग तय हो चुका है. इसके संकेत ऐसे भी मिल रहे हैं कि वह पीएम मोदी के आवास जाकर आ चुके हैं. अगर ऐसा होता है तो चिराग पासवान (Chirag Paswan) के लिए सबसे बड़ा झटका होगा, खासकर तब जब वह खुद को हनुमान बताते आए हैं.

चिराग झेल रहे हैं चाचा से विरोध
गौरतलब है कि खुदको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान इन दिनों लोजपा की कमान को लेकर अपने चाचा पशुपति पारस से सियासी संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में अगर आज पारस को मोदी कैबिनेट में जगह मिलती है, तो यह चिराग पासवान के लिए न सिर्फ झटका होगा, बल्कि बहुत बड़ा अपमान भी होगा. इसकी वजह यह है कि चिराग पासवान न सिर्फ हर मोर्चे पर पीएम मोदी का समर्थन करते रहे हैं, बल्कि चुनावों के दौरान भी वह अपनी वफादारी साबित कर चुके हैं. माना जाता है कि जब 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा के संस्थापक राम विलास पासवान भाजपा के साथ गठबंधन को राजी नहीं थे, तब चिराग पासवान ही थे, जिन्होंने अपने पिता को 2019 के चुनाव में भी भाजपा के साथ ही रहने को मनाया था.

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मोदी को राम बताते आए हैं चिराग
हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही चिराग पासवान एनडीए गठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़े थे, मगर उन्होंने भाजपा को अपना विरोधी कभी नहीं माना. उन्होंने बिहार में जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे, मगर भाजपा के खिलाफ एक भी नहीं. चुनाव के दौरान उनका एक नारा भी खूब चर्चा में था- मोदी से बैर नहीं, जदयू की खैर नहीं. इसके बावजूद पीएम मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को यही लगता रहा कि इस तरह चिराग पासवान ने बिहार में गठबंधन को ही नुकसान पहुंचाया.

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कई मोर्चों पर दिया है केंद्र को खुलेआम समर्थन
पीएम मोदी को चिराग का समर्थन कृषि कानूनों से लेकर नागरिकता कानून पर भी लगातार मिलता रहा है. खासकर जब विपक्ष मोदी सरकार पर खुलकर हमलावर रहा. तब भी चिराग ने खुलकर पीएम मोदी के फैसले का समर्थन किया. ऐसे कई मौकों पर वह प्रधानमंत्री के प्रति आभार जता चुके हैं. कुल मिलाकर अब तक चिराग को पीएम मोदी की तरफ से इनाम नहीं मिल पाया है.  बीते दिनों जब लोजपा का कलह सामने आया तब चिराग पासवान ने खुद कहा था कि उन्होंने हमेशा हनुमान की तरह पीएम मोदी की मदद की, अब उन्हें भी उम्मीद है कि राम चुपचाप नहीं देखते रहेंगे. हालांकि, चिराग का भी पीएम मोदी से मोह भंग हो रहा है. ऐसे संकेत उनके उस बयान से मिलते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर हनुमान को राम से मदद मांगनी पड़े तो कैसे हनुमान और कैसे राम.